नई दिल्ली। निर्वाचन आयोग ने गुरुवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कर दिया है। चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक अगले राष्ट्रपति के लिए चुनाव 18 जुलाई को होगा व मतगणना 21 जुलाई को होगी। मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल 24 जुलाई को समाप्त होने वाला है। ऐसे में सोशल मीडिया पर कयास लगाए जा रहे हैं कि देश का अगला सेनापति कौन होगा? वैसे राजनीतिक गलियारों में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का नाम खूब चर्चा में है।
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ट्विटर पर ट्रेंड हो रहे हैं आरिफ मोहम्मद खान
आरिफ मोहम्मद खान को विशेषकर मुस्लिमों से जुड़े मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखने के लिए जाना जाता है। हाल ही में उपजे पैगंबर विवाद के बाद वे ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं। उन्होंने कतर द्वारा सार्वजनिक माफी की मांग को महत्वपूर्ण नहीं कहकर खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को प्रधानमंत्री और आरएसएस पर ध्यान देना चाहिए जिन्होंने भारत की समावेशिता की परंपरा को मजबूत करने की अपील की है।
जाने के क्यों लग रहे हैं कयास?
बता दें बीते कुछ सालों में भाजपा पर जिस तरह से मुस्लिमों को टारगेट करने की राजनीति करने के आरोप लगे हैं, उसकी काट के लिए वह किसी मुस्लिम चेहरे पर विचार कर सकती है। आरिफ मोहम्मद खान बड़े स्कॉलर हैं। वह तीन तलाक को खत्म किए जाने की वकालत करने वाले मुखर चेहरे थे। केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का लंबा राजनीतिक अनुभव है। शाह बानो मामले में सरकार की कार्रवाई से असहमत होने के बाद 1986 में राजीव गांधी सरकार में अपने मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद आरिफ मोहम्मद खान ने मुसलमानों के बीच प्रगतिशील चेहरे के रूप में ख्याति अर्जित की थी। आरिफ मोहम्मद खान तीन तलाक को खत्म करने के मुखर पैरोकार थे। आरिफ मोहम्मद कई मौकों पर मोदी सरकार की नीतियों की तारीफ भी कर चुके हैं।
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ट्विटर पर लोग मोदी सरकार को सलाह दे रहे हैं कि वे आरिफ मोहम्मद को राष्ट्रपति के तौर पर मैदान में उतारें। लोग कह रहे हैं कि क्या आरिफ मोहम्मद खान पीएम मोदी के दूसरे कलाम होंगे। बता दें कि इससे पहले 2002 में अटल सरकार ने भी डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का नाम राष्ट्रपति के लिए प्रपोज कर सभी को चौंका दिया था। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि मोदी सरकार भी इसी तरह का फैसला कर सकती है। इसकी वजह ये भी है कि भाजपा सरकार आरिफ मोहम्मद को एक प्रगतिशील मुस्लिम चेहरा मानती है।
मुख्तार अब्बास नकवी के नाम पर भी हो रही चर्चा
उनके अलावा मुख्तार अब्बास नकवी का नाम भी चर्चा में है। इसकी वजह यह है कि केंद्रीय मंत्री होने के बाद भी उन्हें राज्यसभा चुनाव में नहीं उतारा गया है। इसके अलावा रामपुर के लोकसभा उपचुनाव में उतारने के कयास थे, लेकिन वहां भी उन्हें मौका नहीं मिला। केंद्रीय मंत्री बने रहने के लिए राज्यसभा या लोकसभा में से किसी एक सदन का सदस्य होना जरूरी है। ऐसे में यह कयास लग रहे हैं कि पार्टी उन्हें राष्ट्रपति या फिर उपराष्ट्रपति बना सकती है। इस चुनाव में सांसदों और विधायकों वाले निर्वाचक मंडल के 4,809 सदस्य मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के उत्तराधिकारी का चुनाव करेंगे।