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Azam Khan को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, जौहर यूनिवर्सिटी की जमीन टेकओवर के आदेश पर लगाई रोक

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के विधायक आजम खान (Azam Khan) से जुड़े मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट (Maulana Mohammad Ali Jauhar Trust) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सोमवार को राहत भरी खबर आई है। बता दें कि जौहर यूनिवर्सिटी बनवाने (Jauhar University) के लिए अधिगृहीत जमीन सरकार को लौटाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने रोक लगा दी है। अगस्त में अब इस मामले की सुनवाई होगी।

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हाईकोर्ट ने 12.5 एकड़ छोड़ कर बाकी 450 एकड़ से ज्यादा जमीन पर सरकार के नियंत्रण का आदेश दिया था। मौलाना जौहर यूनिवर्सिटी (Maulana Jauhar University)  की यह जमीन उत्तर प्रदेश के रामपुर में है। आजम और उनके परिवार के सदस्य इस यूनिवर्सिटी के ट्रस्टी हैं।

जानें हाईकोर्ट ने क्या दिया था आदेश

सितंबर में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court)  ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान के मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट (Maulana Mohammad Ali Jauhar Trust) रामपुर द्वारा अधिग्रहीत 12.50 एकड़ जमीन के अतिरिक्त जमीन को राज्य में निहित करने के एडीएम वित्त के आदेश को सही करार दिया था। बता दें कि विश्वविद्यालय निर्माण के लिए लगभग 471 एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई थी। लेकिन अदालत ने केवल 12.50 एकड़ जमीन ही ट्रस्ट के अधिकार में रखने के लिए कहा था। कोर्ट ने एसडीएम की रिपोर्ट व एडीएम के आदेश की वैधता को चुनौती देने वाली ट्रस्ट की याचिका खारिज कर दी थी।

हाईकोर्ट ने क्या कहा था?

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इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा था कि अनुसूचित जाति की जमीन बिना जिलाधिकारी की अनुमति के अवैध रूप से ली गई। अधिग्रहण शर्तों का उल्लंघन कर शैक्षिक कार्य के लिए निर्माण के बजाय मस्जिद का निर्माण कराया गया। ग्राम सभा की सार्वजनिक उपयोग की चक रोड जमीन व नदी किनारे की सरकारी जमीन ले ली गई। किसानों से जबरन बैनामा करा लिया गया, जिसमें 26 किसानों ने पूर्व मंत्री एवं ट्रस्ट के अध्यक्ष आजम खां के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। कोर्ट ने कहा विश्वविद्यालय का निर्माण पांच साल में होना था, जिसकी वार्षिक रिपोर्ट नहीं दी गई। कानूनी उपबंधों व शर्तों का उल्लंघन करने के आधार पर जमीन राज्य में निहित करने के आदेश पर हस्तक्षेप नहीं कर सकते।

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