Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. एस्ट्रोलोजी
  3. Baisakhi 2023 Date : बैसाखी त्योहार में नदियों में स्नान और दान की परंपरा है,अमोघ फल की प्राप्ति होती है

Baisakhi 2023 Date : बैसाखी त्योहार में नदियों में स्नान और दान की परंपरा है,अमोघ फल की प्राप्ति होती है

By अनूप कुमार 
Updated Date

Baisakhi 2023 Date : बैसाखी त्योहार कों लोग धूमधाम से मनाते है।हिंदी पंचांग के अनुसार,यह वैशाख सौर मास का प्रथम दिन होता है। खुशियों और उत्साह से भरे इस त्योहार पर लोग  इस दिन गंगा नदी में स्नान का बहुत महत्व है। बैसाखी के दिन सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे मेष संक्रांति कहा जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में मेष राशि को अग्नि तत्व की राशि कहा जाता है और सूर्य भी अग्नि तत्व के ग्रह हैं।इसी दिन सिख नव वर्ष का उत्सव मनाया जाता है।बैसाखी त्योहार इस साल 14 अप्रैल 2023, शुक्रवार को है।

पढ़ें :- मंगलवार को करते हैं भगवान हनुमान जी की पूजा और व्रत, तो जरुर पता होनी चाहिए ये बातें

शुद्ध हृदय और बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है बैसाखी का त्यौहार
पंजाब में कई सदियों से बैसाखी मनाई जा रही है। सिख साहित्य के अनुसार, यह दिन उनके दसवें सिख गुरु, गुरु गोबिंद सिंह के जन्मदिन का प्रतीक है, जिन्होंने वर्ष 1699 में सिख भाईचारे, ‘खालसा’ की नींव रखने के लिए इस दिन को चुना था। मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा, इस दिन को एक प्राचीन स्प्रिंग हार्वेस्ट फेस्टिवल के रूप में मनाते हैं। किसान अपनी कृषि भूमि से आशीर्वाद मांगते हैं और मौसम की अपनी पहली फसल की कटाई शुरू करते हैं।बैसाखी का त्यौहार शुद्ध हृदय और बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।

सत्तू और गुड़ का सेवन करना चाहिए
बैसाखी पर बिहार सहित कई राज्यों में इस दिन सत्तू खाने और दान करने की परंपरा है। ज्योतिष शास्त्र में सत्तू का संबंध सूर्य, मंगल, गुरु से माना जाता है। इसलिए सूर्य के मेष राशि में प्रवेश करने से सत्तू और गुड़ का सेवन करना चाहिए और इसका दान भी करना चाहिए। ऐसा करने से सूर्यदेव की कृपा व्यक्ति पर बनी रहती है और मृत्यु के बाद स्वर्ग लोग में स्थान मिलता है, साथ ही नया जन्म लेने के बाद गरीबी का मुंह नहीं देखना पड़ता है। इससे चारों ग्रह प्रसन्न रहते हैं।

Advertisement