लखनऊ। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के नेता पूर्व एमएलसी और पूर्व शिक्षा निदेशक बासुदेव यादव (Former SP MLC Basudev Yadav) को विजिलेंस की टीम (Vigilance Team) ने गिरफ्तार कर लिया है। बासुदेव यादव (Basudev Yadav) के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक्शन हुआ है। वाराणसी की विजिलेंस टीम (Vigilance Team) ने स्थानीय पुलिस के साथ जार्जटाउन स्थित आवास से बासुदेव यादव (Basudev Yadav) को गिरफ्तार किया और अपने साथ वाराणसी लेकर चली गई है। बासुदेव यादव (Basudev Yadav) पर आय से अधिक संपत्ति मामले में कोर्ट में पेशी नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी हुआ था। यूपी में योगी सरकार (Yogi Government) बनने पर सितंबर 2017 में सीएम के निर्देश पर बासुदेव की संपत्तियों की जांच शुरू हुई थी।
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बासुदेव यादव (Basudev Yadav) पर शिक्षा निदेशक के पद पर रहते हुए अवैध तरीके से संपत्ति जुटाने का आरोप है। विजिलेंस ने बासुदेव यादव (Basudev Yadav) की एक निर्धारित अवधि के बीच हुई आय, खर्चों, खरीदी गई संपत्तियों व निवेशों के बारे में गहनता से पड़ताल की। विजिलेंस की जांच में सामने आया है कि बासुदेव यादव (Basudev Yadav) की निर्धारित अवधि में आय करीब 89.42 लाख रुपये थी, जबकि उनका खर्च लगभग 1.86 करोड़ रुपये से अधिक मिला।
उनकी कुल आय से करीब 97.34 लाख रुपये अधिक खर्च रही। कुल आय से करीब 109 प्रतिशत अधिक संपत्ति जुटाने के साक्ष्य एकत्र करने के बाद विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट शासन को भेजी थी। खुली जांच के दौरान बासुदेव यादव (Basudev Yadav) ने अपना बयान भी नहीं दर्ज कराया था। शासन से अनुमति मिलने के बाद छह अप्रैल 2021 को इंस्पेक्टर सुनील कुमार ने प्रयागराज के विजिलेंस थाने में बासुदेव यादव (Basudev Yadav) के खिलाफ इन्हीं आरोपों के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया। लगभग दो साल से इस केस की जांच चल रही है।
समाजवादी पार्टी सरकार में बासुदेव यादव (Basudev Yadav) का काफी रसूख रहा है। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के चंद दिनों बाद ही इन्हें माध्यमिक शिक्षा निदेशक पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी। 2014 में बासुदेव यादव (Basudev Yadav) के खिलाफ एक जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में दायर की गई थी। इसमें उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इन पर पत्नी और बच्चों के नाम पर करोड़ों की लागत से शिक्षण संस्थाएं खोलने और संपत्ति खरीदने के आरोप लगाए गए थे। इसमें सिर्फ दो करोड़ से अधिक की संपत्ति प्रयागराज के फूलपुर तहसील में बताई गई। इसके अलावा सोरांव, हडिया तथा सदर तहसील में भी संपत्ति होने की शिकायत की गई थी।