नई दिल्ली। यूपी के बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी की तीमारदारी पंजाब की रोपड़ जेल में 10 आईपीएस अधिकारी करते थे। इनकी देखरेख में ही अंसारी यहां सजा काट रहा था। इसके साथ ही जेल में पत्नी से मिलवाना और वीआईपी इंतजाम करवाना इन्हीं अधिकारियों का काम था। सूबे में सरकार बदलने के बाद अब जेल मंत्री की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। जेल मंत्री ने अपनी रिपोर्ट सीएम भगवंत मान के पास भेजी है, जिसमें इन सभी बातों का जिक्र है।
पढ़ें :- प्रत्यक्षदर्शी की आंखों-देखी, नर्स ने जलाई माचिस और वार्ड में भभकी आग, 4 साल से एक्सपायर पड़ा था फायर एक्सटिंग्विशर
अब सरकार के सामने यह संकट है कि एक साथ इतने आईपीएस अधिकारियों पर कार्रवाई कैसे करें? लिहाजा सीएम ने जेल मंत्री की रिपोर्ट पर एक और कमेटी का गठन कर दिया है। अब तीन आईपीएस अधिकारियों की कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी। इसके बाद सरकार यह तय करेगी कि इस मामले में क्या कार्रवाई करें?
मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्तार अंसारी केवल नाम के लिए ही जेल में बंद था। वह रोपड़ जेल में बने अफसर क्वार्टर में पूरी सुख-सुविधाओं के साथ रहता रहा। वहां उनकी पत्नी भी अंसारी के साथ रहती थी। जेल मंत्री हरजोत बैंस ने साफ कर दिया है कि इस मामले में कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे। मुख्तार अंसारी को जेल में बेहतरीन सुविधाएं देने के मामले में पूर्व की कैप्टन सरकार पर भी आरोप लगते रहे हैं। मुख्तार अंसारी पर मोहाली के बिल्डर से 10 करोड़ की रंगदारी मांगने का आरोप था। उसे पंजाब पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर मोहाली लेकर आई थी।
24 जनवरी 2019 को कोर्ट में पेश कर उसे रोपड़ जेल में भेज दिया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पिछले साल अप्रैल में उसे पंजाब से उत्तर प्रदेश पुलिस ले गई। पंजाब विधानसभा के बजट सत्र के दौरान जेल मंत्री बैंस ने सदन में गैंगस्टर अंसारी को वीवीआईपी ट्रीटमेंट देने का मुद्दा उठाया था, जिसे लेकर सदन में कांग्रेस के सदस्यों ने काफी हंगामा भी किया था।
पूर्व जेल मंत्री सुखजिंदर रंधावा ने इस आरोप पर बैंस को सदन में चुनौती दी थी कि अंसारी की पत्नी जेल में रहती थी, मंत्री इसे साबित करके दिखाएं। तब मंत्री बैंस ने जांच के बाद सच बाहर आने का दावा किया था। बैंस ने सदन में खुलासा किया था कि अंसारी को फर्जी एफआईआर दर्ज करके 2 साल, तीन महीने तक पंजाब की जेल में रखा गया। उसे प्रोडक्शन वारंट पर लेने के लिए यूपी सरकार ने 26 बार कोशिश की लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। इस तरह पंजाब की कांग्रेस सरकार ने अंसारी को यूपी पुलिस और सरकार से बचाए रखा।