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इस बार Azam Khan कहां मनाएंगे ईद जेल या फिर घर पर?

By संतोष सिंह 
Updated Date

सीतापुर। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक (MLA from Rampur) मोहम्मद आजम खान (Azam Khan) जल्द ही जेल से जल्द बाहर आने की उम्मीदें जताई जा रही हैं। बताया जा रहा है कि आजम खान (Azam Khan)  इस बार ईद (Eid ) का त्योहार जेल के बजाय अपने घर पर ही मनाएंगे।

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बता दें कि आजम खान (Azam Khan)  के खिलाफ पिछले ढाई सालों में जो 72 मुक़दमे दर्ज हुए थे, उनमें से 71 में उन्हें अलग-अलग अदालतों से जमानत मिल चुकी है। हालांकि जो एक मामला बचा हुआ है। उसकी भी सुनवाई पूरी हो चुकी है। हाईकोर्ट ने अपना जजमेंट रिजर्व किया हुआ है। ज़्यादा संभावना इस बात की है कि हाईकोर्ट इस मामले में भी हफ्ते भर के अंदर अपना फैसला सुना सकता है। कयास हैं कि इस मामले में भी उन्हें जमानत मिल सकती है।

जल्द हो सकती है जेल से रिहाई

अगर ऐसा हुआ तो आजम खान (Azam Khan)  दो साल बाद ईद अपने घर पर परिवार के साथ ही मना सकते हैं। हालांकि आजम के ज्यादा दिनों तक जेल से बाहर रहने में भी पेंच फंस सकता है। फिलहाल तो उनके समर्थक इस पेंच से बेफिक्र होकर उनकी रिहाई का इंतजार कर रहे हैं। सपा विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खान की मुश्किलें उनके रामपुर सीट से सांसद बनने के बाद शुरू हुई थीं।

मई 2019 में सांसद बनने के बाद से आजम खान (Azam Khan)  के खिलाफ 72 मुकदमे दर्ज किये गए थे। वो पिछले 26 महीनों से जेल में बंद हैं। आजम खान की गिरफ्तारी 26 फरवरी 2020 को हुई थी। जेल जाने के बाद भी उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज होते रहे। हालांकि जिस रफ़्तार से आजम के खिलाफ मुकदमे दर्ज होते रहे, उसी रफ़्तार से उन्हें जमानत भी मिलती रही। उन्हें 72 में से 71 मामलों में जमानत मिली है, उनमें से पांच में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली है। इसके अलावा तकरीबन एक दर्जन मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट और बाकी मामलों में निचली अदालत ने उन्हें राहत दी थी।

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जानिए क्या है पूरा मामला?

आजम खान (Azam Khan)  अभी जिस एक मुक़दमे में सीतापुर जेल (Sitapur Jail) में बंद हैं, उसकी एफआईआर लखनऊ में दर्ज हुई थी। हालांकि 19 अगस्त साल 2019 को यह मुकदमा रामपुर के अजीम नगर थाने में ट्रांसफर कर दिया गया था। ये मामला केंद्र सरकार के कस्टोडियन डिपार्टमेंट की शत्रु संपत्ति और यूपी शिया वक़्फ़ बोर्ड की प्रॉपर्टी से जुड़ा हुआ है। विवाद तकरीबन 86 बीघा जमीन का है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपयों में है।

मामला 19 साल पुराना है। साल 2003 में आजम खान ने रामपुर की एक विवादित जमीन लीज पर लिए जाने के लिए आवेदन किया था। वह शत्रु संपत्ति की इस जमीन को अपनी मौलाना मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी के लिए लीज पर लेना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार के कस्टोडियन डिपार्टमेंट (Custodian Department) के मुम्बई स्थित हेड आफिस में आवेदन किया था।मामले पर कोई फैसला होने से पहले ही यूपी शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने साल 2007 में इस ज़मीन को वक़्फ़ प्रॉपर्टी बताते हुए इस पर मुतवल्ली की नियुक्ति कर दी थी। बाद में मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट आया।

हाईकोर्ट ने साल 2011 में कस्टोडियन डिपार्टमेंट (Custodian Department) के दावे को खारिज कर उसके आदेश पर रोक लगा दी थी। ये रोक अब भी बरकरार है। साल 2012 में आजम जब एक बार फिर से यूपी के कैबिनेट मंत्री बने तो वक़्फ़ बोर्ड ने यह ज़मीन जौहर यूनिवर्सिटी के लिए लीज़ पर दे दी।

आजम के वकील ने कही ये बात

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आजम खान (Azam Khan)   के वकील सैयद सफ़दर काज़मी (Advocate Syed Safdar Kazmi) के मुताबिक़ कई महीने से जजमेंट रिजर्व होने के बावजूद अदालत ने अभी तक अपना फैसला नहीं सुनाया तो जल्द फैसला सुनाए जाने की अपील करते हुए कोर्ट में एक एप्लीकेशन दी गई है। आज़म खान (Azam Khan) केस के एक अन्य वकील इमरान उल्ला खान (Imran ulla khan) ने कहा कि उम्मीद है कि अदालत का फैसला इसी हफ्ते आ सकता है। हालांकि अगर अदालत का फैसला आज़म खान के पक्ष में आता है और जेल से उनकी रिहाई हो जाती है। तो भी उनकी राह कतई आसान नहीं होगी। यूपी सरकार ने उनकी एक दर्जन मामलों में मिली जमानत निरस्त करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में अर्जी दाखिल कर रखी है।

कम नहीं है आजम की मुश्किलें

वकील सफ़दर काज़मी (Advocate Syed Safdar Kazmi)  के मुताबिक यूपी सरकार की इस अर्जी का आजम की रिहाई पर कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि कोर्ट में उनकी तरफ से जो जवाब दाखिल किया गया है, उसमे यह साफ़ तौर पर कहा गया है कि जमानत मिलने के बाद से आजम अब भी जेल में ही हैं। ऐसे में उनके द्वारा जमानत की शर्तों का उल्लंघन करने का कोई सवाल ही नहीं उठता। सरकार ने सिर्फ सियासी वजहों से जमानत निरस्त करने की अर्जियां डाली हैं। इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के वकील सैयद अहमद नसीम (Advocate Syed Ahmed Naseem) के मुताबिक चूंकि आजम खान को बाकी सभी मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है, इसलिए वक़्फ़ बोर्ड मामले में भी जमानत मिलने के बाद वह जेल से बाहर आ जाएंगे।

 

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