लखनऊ। समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा की डबल इंजन सरकार और यूपी में दो बार की सरकार के तमाम झूठे दावों की सच्चाई यह है कि आज भी आदिवासियों, गरीबों और किसानों की हालत ज्यों की त्यों है, उनकी आर्थिक, सामाजिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से सभी त्रस्त हैं। जनता को सामान्य जनसुविधायें बिजली, पानी, सड़क, रोटी, कपड़ा, दवा और पढ़ाई भी भाजपा सरकार में नहीं मिल पा रही है। चारो तरफ लूट और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। भाजपाई झूठे और निम्नस्तरीय सोच वाले है। इसलिए इनसे सावधान रहना है। हमारा पहला लक्ष्य भाजपा को केन्द्र की सरकार से हटाना है। तभी ईवीएम हटेगी और जनता को खुशहाली मिलेगी। उन्होंने कहा कि ईवीएम का आविष्कार जापान ने किया था लेकिन जापान में बैलट से चुनाव होता है।
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अखिलेश यादव आज पार्टी के प्रदेश मुख्यालय, लखनऊ में बड़ी संख्या में आए कार्यकर्ताओं को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सबसे ज्यादा जातिवादी पार्टी है। नाम बदलना ही भाजपा अपनी उपलब्धि मानती है। अपने दो कार्यकाल में भाजपा ने समाजवादी पार्टी के कामों को ही अपना बताकर अपनी वाहवाही करवा रही है। अब जनता भाजपा सरकार की धोखेबाजी को समझ गयी है। समाजवादी पार्टी पीडीए इंडिया गठबंधन के बूते भाजपा को केन्द्र की सत्ता से हटायेगी।
उन्होंने कहा, सामाजिक न्याय के लिए जातीय जनगणना होना आवश्यक है। जनगणना से विकास योजनाओं में समानुपातिक भागीदारी होगी जिससे उनका लाभ सभी को मिल सकेगा। डॉ0 भीमराव अम्बेडकर और मंडल कमीशन ने पिछड़ों, दलितों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की थी।समाजवादी सरकार बनने पर जातीय जनगणना से सभी को न्याय मिलेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा जातीय जनगणना नहीं कराना चाहती है। भाजपा सरकार की नीतियां आरक्षण विरोधी है। भाजपा सरकार आरक्षण को समाप्त करने के लिए आउटसोर्सिंग से भर्ती कर रही है।
अखिलेश यादव ने उपलब्धियां गिनाते हुए कहा कि बिजली का उत्पादन समाजवादी सरकार में ही दुगना हुआ था। गरीबों को इलाज की मुफ्त सुविधा दी गई थी। गंभीर रोगों किडनी, लीवर, हार्ट, कैंसर के इलाज की निःशुल्क सुविधा थी। छात्र-छात्राओं को लैपटॉप बांट कर उनके भविष्य को बेहतर बनाने का काम किया गया था। उन्होंने कहा कि विकसित भारत कैसे बनेगा जब किसान कर्ज में डूबकर आत्महत्या करने को मजबूर है? सरकार किसानों को उनकी फसल का एमएसपी तक नहीं दे पा रही है। नौजवान बेरोजगारी से परेशान हो रहा है। शिक्षा महंगी है।