Car Loan : कई बार बजट कम होने के चलते लोग नई कार नहीं खरीद पाते हैं, ऐसे में वह कम पैसों में सैकेंड हैंड कार का विकल्प चुनते हैं। इन दिनों में मार्केट में सैकेंड हैंड कारों की डिमांड भी बढ़ती जा रही है। जहां पर लोग सर्टिफाइड यूज्ड कारें भी मिल जाती है। वहीं, बजट ज्यादा कम होने पर सैकेंड हैंड कार खरीदने के लिए कार लोन का उपलब्ध है, लेकिन कुछ लोग सैकेकंड हैंड कार को लोन पर लेना अच्छा नहीं मानते। हालांकि सैकेंड हैंड कार पर भी आसानी से फाइनेंस हो जाता है। लेकिन इन कारों पर फाइनेंस कम टेन्योर यानि कम सालों के लिए होता है। वहीं इनका ब्याज दर भी नई कारों के मुकाबले कुछ ज्यादा होता है।
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स्क्रैपीज पॉलिसी आने के बाद सैकेंड हैंड कारों पर फाइनेंस करवाने की शर्तों को लेकर कुछ बदलाव किए गए हैं, अब उन्हीं डीजल कारों पर बैंक या एनबीएफसी फाइनेंस करते हैं जिनकी लाइफ 5 साल कम से कम बाकि हो। उदाहरण के लिए अगर कोई कार आप खरीदना चाहते हैं जो 2018 की रजिस्टर्ड है। ऐसी स्थिति में बैंक इस पर फाइनेंस कर देंगे, लेकिन ये फाइनेंस केवल 3 सालों के लिए होगा। इसके अलावा ब्याज दर भी 12 से 14 प्रतिशत तक होगी। पेट्रोल कारों पर भी यही नियम लागू कर होगा। हालांकि इन नियम के बारे में कहीं भी जानकारी साझा नहीं की गयी है लेकिन बैंक अब ऐसी ही गाड़ियों पर फाइनेंस कर रहे हैं।
इसमें ग्राहकों के लिए सबसे बड़ा फायदा ये है कि उन्हें एक बेहतरीन और ज्यादा फीचर्स से लैस कार सस्ते दामों में मिल जाती है और फाइनेंस की रकम नई कार की कीमत से बेहद कम होती है। नई कार के बेस मॉडल से भी कम कीमत पर टॉप वेरिएंट तक ले सकते हैं। लेकिन सैकेंड हैंड कार खरीदने के दौरान हमेशा सर्टिफाइड कारों को ही खरीदें। सर्टिफाइड डीलर्स जैसे महिंद्रा फर्स्ट चॉइस, स्पिनी, कार देखो और मारुति की सैकेंड हैंड कार डीलरशिप से ही खरीदनी चाहिए। ऐसी कार ही चुने जिसकी लाइफ कम से कम 5 साल की बाकि हो।