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Chhath Puja 2021: इन नियमों का पालन करना है जरूरी,अर्घ्य से पहले भोजन ग्रहण न करें

By अनूप कुमार 
Updated Date

Chhath Puja Date 2021: लोक आस्था का पर्व छठ पूजा सूर्य देव की आराधना व संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास अत्यन्त पवित्र मास माना जाता है। कार्तिक मास की महिमा का वर्णन करते हुए ऋषियों ने भविष्य पुराण में अनुसार कहा है कि हे ऋषि, जो भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर के अंदर और बाहर दीप-माला की व्यवस्था करता है, वह उन्हीं द्वीपों द्वारा प्रकाशित पथ पर परमधाम के लिए प्रस्थान करेगा। छठ पूजा के इस त्योहार को हर साल का​र्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है।

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छठ मैया और सूर्य भगवान का यह मुख्य त्योहार चार दिन चलता है। पूजा से पहले घर की अच्छी तरह साफ-सफाई की जाती है। पूजा की शुरुआत से पहले घर में जहां छठ पूजा होनी है, वहां खास तैयारी करनी होती है। इस बार छठ पूजा 10 नवंबर, 2021 को है। बता दें कि ये सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है।

उत्तर भारत और खासतौर से बिहार,यूपी,झारखंड में इस त्योहार का बेहद खास महत्व होता है। छठ पूजा का त्योहार नहाय-खाय से शुरू होता है। फिर खरना होता है। उसके बाद छठ पूजा (chhath puja 2021 Timings) होती है। जिसमें सूर्य देव को शाम का अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इसके बाद अगले दिन सूर्योदय के समय में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और फिर पारण करके व्रत को पूरा किया जाता है।8 नवंबर 2021, सोमवार (नहाय खाय)- छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तिथि से होती है। यह छठ पूजा का पहला दिन होता है। इस दिन सूर्योदय 6 बजकर 38 मिनट पर और सूर्यास्त 5 बजकर 31 मिनट पर होगा।

छठ पूजा के नियम

-सूर्य को अर्घ्य से पहले कभी भी भोजन ग्रहण न करें।
-व्रती लोगों को पहले और दूसरे दिन सूर्य को जल देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
-छठ पूजा में जब सुबह और शाम का अर्घ्य दिया जाता है उस दौरान आपको तांबे के लोटे का प्रयोग करना चाहिए।
-सूर्य भगवान को जिस बर्तन से अर्घ्य देते हैं, उसकी सफाई का विशेष ध्यान रखें। व्रती महिलाओं को ये अर्घ्य तांबे के लोटे में ही देना चाहिए।
-व्रत रखने वाले शख्स को मांस, मदिरा, झूठी बातें, काम, क्रोध, लोभ, धूम्रपान आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
-छठ पर्व के तीन दिनों तक पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें।
-जिस जगह प्रसाद बन रहा, वहां साधारण भोजन भी नहीं बनाना चाहिए। साथ ही उस स्थान पर खाना भी वर्जित है।
-पूजा के दौरान वाणी संयमित रखें। घर में जूठे बर्तन, गंदे कपड़ों का ढेर नहीं लगनें दें

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