उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में अधिशासी अभियंता संतोष कुमार की हुई हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए। बताया जा रहा है कि, जल निगम ग्रामीण में काम कर रही एजेंसी के खिलाफ रिपोर्ट तैयार करने और उसे हटाने के लिए पत्राचार किए जाने को लेकर आरोपी काफी नाराज था। सूत्रों की माने तो इस योजना में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है और कुछ अफसर इस योजना को पलीता लगाने के लिए भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
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ऐसे में सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘जल जीवन मिशन’ कैसे परवान चढ़ पाएगी। विभाग के बड़े अफसर इस भ्रष्टाचार की पटकथा लिख रहे हैं। कंपनियों से भारी कश्मीन लिया जा रहा है। सबसे बड़ी बात है कि, एक ही अफसर को पिछले कई सालों से विभाग का प्रमुख बनाया गया है, जिसको लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में अब एक बार फिर इस योजना में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है।
बताया जा रहा है कि, हर घर स्वच्छ जल पहुंचाने के लिए जिन कंपनियों को काम दिया गया है, वो काफी लापरवाही बरत रहे हैं। यही नहीं इन कंपनियों से जल निगम ग्रामीण के अफसर मोटी वसूली भी की जा रही है, जिसमें कई अफसरों के नाम इन दिनों चर्चाओं में बना हुआ है। इनमें से एक नाम सिंह साबह का है। कहा जा रहा है कि, अगर इस तरह से ही अफसर वसूली करते रहेंगे तो ‘हर घर स्वच्छ जल’ पहुंचने का नारा खोखला साबित होगा।
यही नहीं, लोगों के घरों में कनेक्शन लगाने से लेकर बोरिंग तक में बड़ा खेल किया जा रहा है। शुद्ध पानी के नाम पर मानक के विपरित काम हो रहा है। कई जगहों पर तो बोरिंग से ही पानी देने की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। यही नहीं कितनी टंकियां लगीं, इसका भी विवरण कहीं नहीं है। शुद्ध पानी के नाम पर लोगों को आरसैनिक, फासफोरस, टीडीएस, जहां तीन हजार से ऊपर है उसकी सप्लाई की जा रही है। विभाग के प्रमुख सचिव से लेकर अफसर इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। सबसे बड़ी बात है कि एक ही प्रमुख सचिव अनुराग श्रीवास्तव को इतने लंबे समय से एक ही विभाग का प्रमुख क्यों बनाया गया है? आखिर इनकी जगह किसी दूसरे अफसर को विभाग में तैनाती क्यों नहीं दी जा रही है?