लखनऊ : यूपी में 25000 करोड की लागत से जारी किए जा रहे पुरानी तकनीकी के 4 जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर (4G Smart Prepaid Meters) पर उपभोक्ता परिषद ने सवाल उठाया है । कहा परियोजना अगले 10 वर्षों के लिए सभी को पता 4 जी तकनीकी अगले 2 से 3 वर्षों में हो जाएगी समाप्त फिर 5 जी तकनीकी के स्मार्ट प्रीपेड मीटर (5G Smart Prepaid Meters) की क्यों नहीं हो रही खरीद?
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उपभोक्ता परिषद ने किया बड़ा खुलासा
30 अगस्त 2023 को मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज ने अपने इंटरनल क्वार्टर के लिए स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर की जो जारी की निविदा विशिष्टीकरण उसमें 5जी तकनीकी तक के स्मार्ट प्रीपेड मीटर की खरीद की बना रहा योजना और यहां करोडों की खरीद पुरानी तकनीकी से? उपभोक्ता परिषद के भारी विरोध के बाद भी पावर कारपोरेशन ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड को 50 लाख स्मार्ट मीटर पुरानी तकनीकी के खरीद का दिया था आदेश जिसमें प्रदेश में 12 लाख स्मार्ट मीटर पुरानी तकनीकी के नहीं बदलवा पाया पावर कॉरपोरेशन एनर्जी एफिशिएंसी कर रही मनमानी। उपभोक्ता उठा रहे समस्या।
सबसे पहले उत्तर प्रदेश में वर्ष 2018 में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड को पुरानी तकनीकी 2जी व 3जी के 50 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का टेंडर दिया गया जिसकी पुरानी तकनीकी पर उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में याचिका डाली थी और इसका विरोध किया था अंततः लंबे विवाद के बाद 12 लाख स्मार्ट मीटर लगने के बाद एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड ने अब मीटर लगाना बंद कर दिया और आज तक पुरानी तकनीकी के स्मार्ट मीटर को 4जी तकनीकी में भारत सरकार के आदेश के बाद भी कन्वर्ट नहीं किया अब पुनः उत्तर प्रदेश में लगभग 25000 करोड के स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर जारी किए जा रहे हैं वह भी 4जी तकनीकी के जबकि यह परियोजना अगले 10 वर्षों के लिए है सभी को पता है कि अगले दो से तीन वर्षों में 4जी गायब हो जाएगा और 5जी पूरी तरीके से अपना विस्तार कर लेगा तब इन पुरानी तकनीकी के स्मार्ट प्रीपेड मीटरों का क्या होगा इस पर कोई भी गंभीरता से विचार क्यों नहीं कर रहा है पुरानी तकनीकी के मामले में उपभोक्ता परिषद ने पहले भी पावर कारपोरेशन को सचेत किया था और आज उसका खामियाजा सभी भुगत रहे।
पूर्व में उपभोक्ता परिषद की याचिका पर विद्युत नियामक आयोग ने जो स्मार्ट मीटर का रोल आउट प्लान जारी किया है उसमें स्पष्ट लिखा है कि समय-समय पर जो तकनीकी अपग्रेड होगी उसे जो भी मीटर लगाने वाली एजेंसी होगी उसे अपग्रेड तकनीकी में निशुल्क बदलाव करना होगा जिसको आज तक एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड ने नहीं माना और अब फिर करोडो के स्मार्ट प्रीपेड मीटर पुरानी तकनीकी के खरीदे जा रहे हैं जो आने वाले समय में प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के जी का जंजाल बनेगा
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उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा आज उपभोक्ता परिषद जो खुलासा करने जा रहा है उसे बिजली कंपनियां सोचने पर मजबूर होगी कि आखिर 5जी तकनीकी की बात क्यों नहीं की जा रही है मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज ने 30 अगस्त 2023 को अपने इंटरनल क्वार्टर के लिए स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की तकनीकी विशिष्टीकरण जो जारी की उसमें स्पष्ट रूप से इंगित किया की स्मार्ट प्रीपेड मीटर जो खरीदा जाएगा वह 3जी 4जी और लेटेस्ट 5जी तकनीकी में पूरी तरीके से काम करता हो यानी की मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज जो हजारों या अधिकतम लाखों की संख्या में ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीद रहा है और वह 5 जी तकनीकी की बात कर रहा है और उत्तर प्रदेश में 2 करोड से ज्यादा स्मार्ट प्रीपेड मीटर खरीदने की बात हो रही वो भी 4जी तकनीकी की हो रही है सभी को पता है कि यह तकनीकी अगले दो से तीन वर्षों में गायब हो जाएगी और यह परियोजना अगले 10 वर्षों के लिए है फिर यही हाल होगा जैसे वर्तमान में एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड पुरानी तकनीकी के 12 लाख स्मार्ट मीटर को नहीं बदल रहा है और उसका खामियाजा प्रदेश के उपभोक्ताओं को भुगतना पड रहा है।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा वर्तमान में उत्तर प्रदेश में जिन निजी घरानों को स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर दिया गया है वह इस वर्ष के अंतिम महीने या अगले वर्ष 2024 के पहले महीने से लगना शुरू होगा और इसे हर हाल में 27 महीने में लगाना है ऐसे में इस पुरानी तकनीकी के स्मार्ट प्रीपेड मीटर को खरीदने की क्या आवश्यकता है जबकि टेंडर की निविदा में स्पष्ट रूप से यह प्रावधान होना चाहिए की समय-समय पर जो उच्च तकनीकी होगी वहीं मी निर्माता कंपनियों को निशुल्क आयोग आदेश अनुसार लगाना होगा।