कर्नाटक सरकार बीजेपी सरकार द्वारा पारित गोहत्या और मवेशी संरक्षण संसोधन विधयेक 2021 में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इस मामले में कर्नाटक के पशुपालन मंत्री के विंकटेश ने कहा कि अगर भैसों को काटा जा सकता है, तो गायों को क्यों नहीं।
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इस बात पर उन्होंने यह तर्क भी दिया कि किसान बुढ़े हो चुके मवेशियों को ठिकाने लगाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे है। इसलिए ऐसा किया जाना जरुरी है।
अपनी बात को सच सही साबित करने की कोशिश में मंत्री के वेंकटेश ने कहा कि किसान बुढ़े मवेशियों को रखने और मृत पशुओं को ठिकाने लगाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि हाल ही में उनके फार्महाउस में मरने वाली गायों में से एक गाय को निकालने में उन्हें कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
गौशालाओं के लिए है धन की कमी
वेंकटेश यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में गौशालाओं के प्रबंधन के लिए धन की कमी है। इस बीच, हिंदू कार्यकर्ताओं ने मंत्री द्वारा की गई टिप्पणी की निंदा की है और राज्य सरकार द्वारा गोहत्या पर कानून वापस लेने पर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी है। पिछली बीजेपी सरकार ने गोहत्या पर प्रतिबंध लगाने और अपराधियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान करने वाला विधेयक पारित किया था।
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आपको बता दें कि 1964 के अधिनियम के विपरीत पूर्ववर्ती बीजेपी सरकार द्वारा पास नए कानून में बैल और भैसों को मारने की अनुमति दी थी, लेकिन गायों को नहीं। नए कानून में गाय, गाय के बछड़े और 13 साल के कम उम्र के बैल की हत्या पर प्रतिबंध और दोषी के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान भी किया।
जबकि 1964 के कानून ने बैलों, भैसों को मारने की अनुमति थी, अगर वह 12 साल से ज्यादा उम्र का हो। साथ ही अगल वह प्रजनन के लिए असक्षम हो या बीमार हो। इस कानून में किसी भी गाय या भैंस के बछड़े को मारने का प्रतिबंध लगाया गया था।