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यूपी की 14 सेन्ट्रल जेलों में बंद सजायाफ्ता बंदियों को अब मिलेगा कैरियर बनाने का मौका

By संतोष सिंह 
Updated Date

बरेली। नई शिक्षा नीति के तहत राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश की 14 सेन्ट्रल जेलों में बंद सजायाफ्ता बंदियों को स्नातक और परास्नातक स्तर की उच्च शिक्षा देने की योजना बनाई है। राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय इलाहाबाद के क्षेत्रीय कोआर्डिनेटर डॉ.आरबी सिंह ने बताया कि अब बंदियों के जेल में ही रहकर कैरियर बनाने का मौका मिलेगा।

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इस कड़ी में राजर्षि टंडन मुक्तविश्वविद्यालय की ओर से प्रदेश की 14 जेल के बंदियों को उच्च शिक्षा देने की पहल शुरू की है। इस सत्र से जेल के बंदी जो इंटरमीडियट पास हो चुके है उनको उच्च शिक्षा की पढ़ाई कराने के लिए मौका दिया जाएगा। इसके लिए जेल में ही बंदियों को ऑनलाइन क्लास की भी व्यवस्था रहेगी और बंदियों को पढ़ाई करने के लिए कॉपी-किताबे आदि सामान भी मुहिया कराया जाएगा।

उन्होंने बताया कि अभी तक सजा काट रहे बंदियों को जेल में ही रहकर हाईस्कूल और इंटरमीडियट तक की ही पढ़ाई करने का मौका मिलता था। लेकिन अब नई शिक्षा नीति के तहत बरेली के साथ-साथ मेरठ, फतेहपुर, अयोध्या,आगरा गोरखपुर, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, आजमगढ़, झांसी, फतेहगढ़ वाराणसी और इलाहाबाद की नैनी केन्द्रीय जेल के बंग बंदियों को स्नातक और परास्नातक स्तर की परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा।

श्री सिंह ने बताया कि बंदियों को जेल में ही परीक्षा केन्द्र का निर्धारण होता था और नियमों के साथ कक्ष निरीक्षक के बीच नकलविहीन परीक्षा कराई जाती थी। लेकिन अब राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से 12वीं के बाद बीए, बीकॉम, बीएससी, एमए, एमकॉम, और एमएससी के साथ साथ स्नातक और परास्नातक के आलावा अन्य प्रोफेशनल डिप्लोमा कोर्स करने का भी मौका देगा।

उन्होंने बताया कि इसके अलावा लॉगटर्म कोर्स के साथ साथ शार्टटर्म कोर्स करने का भी मौका देगा डिग्री मिलने से बंदियों की मानसिकता में भी बदलाव होगा और आचरण अच्छा होने पर शासन के निर्देश पर सजा में भी छूट मिल सकती है। जिससे की जेल से बाहर आने पर डिग्री लेकर नई दिशा में कैरियर बना सकेंगे ।

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श्री सिंह ने बताया कि जेल में बंद बंदियों को पढ़ाई के साथ साथ नैतिकता का भी पाठ पढ़ाया जाएगा। बंदियों की समय-समय पर अपराध की दुनिया से बाहर निकालने के लिए कांउसलिंग भी कराई जाएगी। इसके लिए देश के कई बड़े प्रोफेसर और विशेषज्ञ शामिल होंगे, बदियों को सिर्फ डिग्री देना ही नहीं इनके भविष्य और अपराधिक दुनिया से बाहर निकालना भी होगा। जिससे की सजा पूरी होने पर बंदी आसानी से प्रोफेशनल तरीके से अपना कैरियर आसानी से शुरू कर सके।

उन्होंने बताया कि बरेली की दोनों जेल में स्टडी सेंटर खोल दिये गये है। नई शिक्षा नीति के अनुसार जेल में उच्च शिक्षा के लिए सुविधा दी जा रही है। इसके लिए किसी भी बंदी से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। दोनों ही जेल से अब तक कई बंदियों ने पंजीकरण कराया है। प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जो कि सितंबर तक चलेगी। देश के कई बड़े प्रोफेसरों और विशेषज्ञ के माध्यम से समय समय पर बंदियों की काउंसलिंग कराई जाएगी।

श्री सिंह ने बताया कि जेल में ऐसे भी सजायाफ्ता कैदी है , जो हाईस्कूल भी नहीं हैं। वह जेल के अंदर दरी , जूता ,कालीन ,कपडा और फर्नीचर आदि बनाने का कार्य करते है , ऐसे सजायाफ्ता कैदियों को राजर्षि टण्डन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद की ओर से योग्य डिजाइनरों ,विशेषज्ञों , इंजीनियरों से प्रशिक्षण दिलाया जायेगा , उन्हें प्रशिक्षण के बाद डिप्लोमा दिया जायेगा ,ताकि जेल से छूटने के बाद किसी बड़े वर्कशाप में बेहतर नौकरी मिल सके या अपना कारोबार कर सकें।

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