लखनऊ। दवा माफिया और NRHM घोटाले का आरोपी मुकेश श्रीवास्तव पूरे स्वास्थ्य विभाग पर भारी है। स्वास्थ्य विभाग के बड़े से बड़े अधिकारी मुकेश श्रीवास्तव के आगे घुटने टेक दे रहे हैं। उसके इशारों पर प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा जिलों के हर छोटे से बड़े काम उसकी और उसके परिजनों की कंपनियों को मिल रहे हैं। मुकेश के साथ इस सिंडिकेट को चलाने में उसका भाई अजय कुमार श्रीवास्तव बड़ी भूमिका निभाता है।
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अजय कुमार श्रीवास्तव स्वास्थ्य विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत है। सबसे अहम बात ये है कि, तमाम शिकायतों के बाद अजय कुमार श्रीवास्तव देवीपाटन मंडल में ही तैनात रहा। पर्दाफाश न्यूज लगातार मुकेश और उसके भाई अजय श्रीवास्तव के करतूत को उजागर कर रहा है, जो स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार के दीमक की तरह प्रवेश कर गए हैं। इनको बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री के आदेश की भी अवहेलना करते हैं।
बहराइच के पयागपुर से भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी ने NRHM घोटाले का आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और उसके भाई अजय श्रीवास्तव (तत्कालीन लिपिक) के खिलाफ अवैध रूप से अर्जित धनराशि की सतर्कता विभाग से जांए कराए जाने का अनुरोध किया था। उनकी इस शिकायत पर प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री संजय प्रसाद ने 25 अक्टूबर 2024 को अपर मुख्य सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक यूपी, प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य को लिखा था। इसमें कहा गया था, प्रकरण में अब तक कार्यवाही क्यों नहीं की गयी है। उन्होंने प्रकरण की जांच करावकर कार्यवाही कर अवगत कराए जाने की आपेक्षा की थी।
भाजपा विधायक सुभाष त्रिपाठी ने अपने पत्र में लिखा था कि, मुकेश और उसके भाई अजय कुमार श्रीवास्तव तत्कालीन लिपिक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी बलरामपुर द्वारा दवा खरीद/सप्लाई एवं अनुरक्षण कार्य द्वारा अवैध रूप से अर्जित धनराशि की सतर्कता जांच कराए जाने की मांग की थी।
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मुकेश और उससे जुड़ी हुई एक दर्जन फर्में कर रहीं हैं काम
तमाम शिकायतों के बाद भी मुकेश और उससे जुड़ी हुई फर्में स्वास्थ्य विभाग में अपना काम धड़ल्ले से कर रही हैं। सूत्रों की माने तो मुकेश और उससे जुड़ी हुई करीब एक दर्जन से ज्यादा फर्में हैं, जो प्रदेश के करीब दो दर्जन से ज्यादा जिलों में काम कर रही हैं। जब किसी फर्म की शिकायत होती है तो मुकेश स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिलीभगत करके अपनी दूसरी फर्म पर काम ले लेता है। सबसे अहम है कि, दवा सप्लाई से लेकर अन्य काम इसके रेट के मुताबिक ही तय होता है।