नई दिल्ली। covid-19 News सुप्रीम कोर्ट में कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को सभी राज्य सरकारों को बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में कोविड-19 के कारण अनाथ सभी बच्चों (All children orphans) को पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) से घोषित योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए।
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इन अनाथ बच्चों को सरकार की आर्थिक सहायता से जुड़ी स्कीमों का लाभ मिलेगा लेकिन असली विवाद बच्चों की संख्या को लेकर है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मार्च 2020 से लेकर जुलाई 2021 के बीच केवल 645 बच्चे अनाथ हुए हैं, जबकि NCPCR के पोर्टल पर अनाथ बच्चों का आंकड़ा 6855 दिखाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि सिर्फ कोरोना महामारी में अनाथ उन सभी बच्चों को लाभ दें, जो कोविड-19 (covid-19) के दौरान अनाथ हुए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने बंगाल सरकार द्वारा पेश आंकड़ों को अविश्वसनीय बताया है। कोर्ट ने कहा कि कोविड-19 के दौरान सिर्फ 27 बच्चे ही अनाथ हुए हैं, यह तथ्य से परे है।
कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि अब तक जितने राज्यों ने आंकड़े दिए हैं। वह कुल मिलाकर करीब 7 हजार हैं। इस मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस एल नागेश्वर राव और अनिरुद्ध बोस की बेंच ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि पश्चिम बंगाल सरकार अनाथ बच्चों की संख्या का पता नहीं लगा पा रही है, तो उसे किसी दूसरी एजेंसी को यह काम देना होगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल (West Bengal) के सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया कि वे ऐसे बच्चों के बारे में जल्द आवश्यक जानकारी जुटाएं। साथ ही संबंधित वेब पोर्टल पर जल्द से जल्द डाटा को अपलोड करें।
सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वह अनाथ बच्चों की जानकारी जुटाने के लिए चाइल्ड केयर हेल्पलाइन, पुलिस, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं समेत हर विभाग की मदद लें। इस मामले की अब अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी। कोर्ट में केंद्र ने बताया कि कोरोना महामारी से अनाथ बच्चों के बड़े होने पर उन्हें उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये प्रदान किए जाएंगे। यह राशि पीएम केयर्स फंड से दी जाएगी। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि केवल कोरोना के कारण नहीं बल्कि कोरोना काल में अनाथ सभी बच्चों को यह सहायता क्यूं नहीं दी जा सकती है?