Iran-Israel War : ईरान (Iran) ने इजराइल (Israel) पर बड़ा हमला करते हुए मंगलवार रात उसके प्रमुख सैन्य ठिकानों पर 180 से अधिक बैलेस्टिक मिसाइलें दागीं (Ballistic Missiles Fired) है। इजरायल पर मिसाइल हमला (Missile attack) करने की खबरों के बाद मंगलवार को कच्चे तेल की कीमतों (Crude oil prices) में आग लग गई है। क्रूड ऑयल में लगभग 4 फीसदी की उछाल आई। ब्रेंट वायदा 3.5 फीसदी बढ़कर 74.2 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 2.54 डॉलर या 3.7 फीसदी बढ़कर 70.7 डॉलर पर पहुंच गया है। कच्चे तेल के दाम (Crude oil prices) में फिर से उछाल ने भारत (India) में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है।
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इजरायल और ईरान के बीच बढ़ती जंग का असर भी दिखने लगा है और क्रूड का दाम फिर 75 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। अगर ये बढ़ता है, तो त्योहारों के बीच जनता को फायदे के बजाय बड़ा झटका लग सकता है। आइए जानते हैं कि क्रूड की कीमतों का पेट्रोल-डीजल के भाव पर कैसे और क्या असर पड़ता है?
बीते सितंबर महीने की शुरुआत में इंटरनेशनल मार्केट में Crude के दाम में लगातार गिरावट देखने को मिल रही थी। महीने के बीच में WTI क्रूड की कीमत जहां 70 डॉलर के नीचे 69.27 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई थी, तो वहीं 2021 के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड का भाव भी गिरकर 70 डॉलर प्रति बैरल के आस-पास पहुंच गया था। दरअसल, यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने पॉलिसी रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की थी, जिसके बाद क्रूड का दाम टूटा था। इसके अलावा और भी कई कारण सामने आए थे। सितंबर महीने में कच्चे तेल की कीमतों आई गिरावट के चलते फेस्टिव सीजन में भारत में लंबे समय से स्थिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Rates) में कटौती की उम्मीद भी जागी थी। बिजनेस टुडे पर सितंबर महीने में छपी रिपोर्ट्स के हवाले से कहा गया था कि केंद्र सरकार क्रूड के दाम में गिरावट को देखते हुए पेट्रोल-डीजल के दाम में कटौती कर सकती है।
Crude के भाव का पेट्रोल-डीजल पर असर
यहां ये जान लेना बेहद जरूरी है कि आखिर कैसे मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के दाम में बदलाव का असर भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ता है। तो बता दें कि देश में फ्यूल के दाम कई कारकों पर निर्भर होते हैं। हर रोज इनके दाम घटते और बढ़ते हैं। इसके साथ ही हर शहर में ये कीमतें अगल-अलग होती हैं। इस बदलाव का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेंट क्रूड ऑयल का भाव, देश में इन पर लगने वाला उत्पाद शुल्क, राज्यों द्वारा लगाया जाने वाला वैट बनता है।
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भारत में 80 फीसदी कच्चे तेल का आयात
रिपोर्ट की मानें तो भारत में रोजाना करीब 37 लाख बैरल क्रूड की खपत होती है और देश अपनी खपत की पूर्ति के लिए लगभग 80 फीसदी क्रूड ऑयल आयात करता है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां Crude Oil की कीमत, फ्रेट चार्ज, रिफाइनरी कॉस्ट के आधार पर तय करती हैं कि पेट्रोल-डीजल कितना सस्ता होगा या कितना महंगा किया जाएगा? इसके अलावा ग्राहक तक पहुंचने तक इसकी कीमतों में एक्साइज ड्यूटी, वैट और डीलर कमीशन भी जुड़ जाता है। मतलब साफ है कि पेट्रोल-डीजल के दामों में कितना और कब बदलाव करना है, इस पर अंतिम फैसला स्थानीय तेल कंपनियां ही लेती हैं।
क्रूड सेक्टर में ईरान का है दबदबा
बता दें कि ईरान, जो कि ओपेक का सदस्य है। Crude Sector में इसका दबदबा है। कच्चे तेल के क्षेत्र में इसकी भागीदारी ने तेल आपूर्ति (Oil Supply Chain) में व्यवधान की आशंकाओं को बढ़ा दिया है, क्योंकि ईरान दुनियाभर में होने वाली तेल सप्लाई के करीब एक तिहाई हिस्से की आपूर्ति करता है। बिजनसे टुडे की रिपोर्ट के मुताबि, ईरान के मिसाइल अटैक से संकट बढ़ने के आसार दिखने लगे हैं। इस खबर के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल आया।