लखनऊ। उप्र बैडमिंटन एसोसिएशन (UP Badminton Association) के तत्कालीन सचिव डॉ विजय सिन्हा (Dr. Vijay Sinha) और उनके पुत्र निशांत सिन्हा (Nishant Sinha) को पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) में सजा सुनाई गई। नाबालिग खिलाड़ियों के मानसिक और शारीरिक शोषण के दोषी विजय सिन्हा (Vijay Sinha) को पांच और निशांत को सात वर्ष कैद की सजा सुनाई गई। दोनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को मामले की सुनवाई पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश विजेंद्र त्रिपाठी की अदालत में हुई।
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मामला बीबीडी बैडमिंटन अकादमी (BBD Badminton Academy) का है। कोर्ट ने आदेश में कहा कि दोषी ने देश की भावी महिला खिलाड़ियों के साथ बार-बार लैंगिक अपराध किया। इसके पहले कोर्ट में जिला शासकीय अधिवक्ता मनोज त्रिपाठी (Government Advocate Manoj Tripathi) और वादी के विशेष वकील प्रांशु अग्रवाल ने बताया कि उप्र बैडमिंटन अकादमी (UP Badminton Academy) की एक्जिक्यूटिव कमेटी ने 12 फरवरी 2017 को बैठक करके प्रस्ताव पारित किया था।
अनाधिकृत रूप से कार्यकारी सचिव बना रहा
प्रस्ताव में कहा कि अकादमी के मुख्य सुरक्षाधिकारी जंग बहादुर सिंह (Chief Security Officer Jang Bahadur Singh) को निर्देश दिया कि वह मामले की रिपोर्ट दर्ज कराएं। इस पर वादी जेएसएनजी बहादुर ने 21 फरवरी 2017 को गोमतीनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उस समय डॉ विजय सिन्हा उप्र बैडमिंटन संघ (UP Badminton Association) के सचिव थे। उनके पुत्र निशांत सिन्हा अनाधिकृत रूप से कार्यकारी सचिव बने हुए थे।
मानसिक-शारीरिक शोषण किया
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तहरीर में कहा गया कि कई बालिका खिलाड़ियों ने संघ को इन दोनों पिता-पुत्र के खिलाफ शिकायत दी। बताया कि निशांत सिन्हा (Nishant Sinha) अपने और पिता विजय सिन्हा के पद का अनुचित फायदा उठा रहा है। महिला खिलाड़ियों का मानसिक-शारीरिक शोषण कर रहा है। उसका पिता विजय उसका सहयोग कर रहा है।
जांच में शिकायतें और तथ्य सही मिले
खिलाड़ियों ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपी अनापत्ति प्रमाणपत्र देने के लिए धन की भी मांग करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इन शिकायतों के आने पर बैडमिंटन संघ ने सेवानिवृत्त जिला जज की अध्यक्षता में जांच कमेटी बैठाई। जिसने अपनी रिपोर्ट देकर बताया कि आरोपियों के खिलाफ की गई शिकायतें सही हैं और उनमें तथ्य सही हैं।