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योगी सरकार भी चाहे तो किसानों को फ्री में बिजली दे सकती, बस दृढ इच्छाशक्ति की जरूरत : अवधेश कुमार वर्मा

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। देश के किसी भी राज्य में जब विधानसभा चुनाव नजदीक आता है। तो फ्री बिजली और सस्ती बिजली की सियासत शुरू हो जाती है। सभी राजनैतिक दल जब घरेलू और किसानों की फ्री बिजली की बात करते हैं। तो बिजली विशेषज्ञों के बीच चर्चा का दौर शुरू हो जाता है।

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बता दें किउपभोक्ता परिषद लगातार दूरगामी परिदृश्य को देखते हुए लंबे समय तक सस्ती बिजली की पैरोंकारी करता चला रहा है। देश का किसान जो हमारा अन्नदाता है वास्तव में अगर राज्य सरकारों की दृढ इच्छाशक्ति है तो उन्हें बहुत ही आसानी से फ्री बिजली दी जा सकती है। देश के अनेकों राज्य जैसे आंध्र प्रदेश कर्नाटक पंजाब तमिलनाडु तेलंगाना में किसानों की बिजली पूरी तरह फ्री है। ऐसे में उपभोक्ता परिषद ने जब उत्तर प्रदेश के किसानों के वित्तीय पैरामीटर का अध्ययन किया तो यह सामने निकल कर आया कि उत्तर प्रदेश मे भी कृषि कार्य हेतु ट्यूबवेल यानी कि किसानों की बिजली बहुत ही आसानी से फ्री की जा सकती है। उत्तर प्रदेश में एलएमबी फाइव यानी कि पीटीडब्लू जिसके अंतर्गत किसानों के निजी ट्यूबवेल हैं ।

राज्य                      रेट                                          उपभोक्ताओ की संख्या 31 3.2019

आंध्र प्रदेश             शून्य                                                    1740418
कर्नाटक                शून्य                                                     2969013
पंजाब                    शून्य                                                      1378960
तमिलनाडु              शून्य                                                     2117440
तेलंगाना                शून्य                                                       2305318

 

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वही अगर बात करें हरियाणा की तो वहां किसानों की बिजली टोकन 10 पैसे प्रति यूनिट है। पांडुचेरी में भी टोकन 10 पैसे प्रति यूनिट है । वहीं उत्तर प्रदेश में किसानों की ग्रामीण क्षेत्र में अनमीटरड किसानों की रुपया 170 प्रति हॉर्स पावर ग्रामीण मीटरड की रुपया 70 प्रति हॉर्स पावर व एनर्जी चार्ज रुपया 2 पैसे प्रति यूनिट है। वही शहरी रुपया 130 प्रति हॉर्स पावर व एनर्जी चार्ज रुपया 6 पैसे प्रति यूनिट है ।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा प्रदेश में कुल 1316399 विद्युत उपभोक्ता ट्यूबवेल के है उनके द्वारा लिया गया सयोजित भार 794170 रुपया 6 किलोवाट है। उनके लिए वर्ष 2021-22 विद्युत नियामक आयोग द्वारा अनुमोदित आंकडों पर नजर डालें तो कुल 14006 मिलियन यूनिट बिजली की जरूरत होती है । जिसकी कुल लागत लगभग रुपया 1845 करोड है यह लागत तब सामने आ रही है।

जब वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार किसानों और छोटे घरेलू उपभोक्ताओं की दरों में ज्यादा बढोतरी ना हो पर रुपया 11 हजार करोड की सब्सिडी देती है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में किसानों की बिजली फ्री करने के लिए पहला उपाय। तो यह कि उत्तर प्रदेश सरकार यदि किसानों की बिजली फ्री करना चाहती है। तो विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 65 के तहत उसे अतिरिक्त रुपया 2 हजार करोड की सब्सिडी देना होगा। अगर सरकार चाहे तो उपभोक्ता परिषद किसानों के फ्री बिजली करने का वह भी प्रस्ताव दे सकता है। जिसमें बिना सब्सिडी दिए कास्ट कटिंग करके और कुछ उपायों को लागू करके किसानों की बिजली फ्री की जा सकती है। जैसे कि वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा उत्पादन इकाइयो के बकाए पर लगने वाले लेट पेमेंट सर चार्ज 18 प्रतिशत को घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है।

उसका कानून नियामक आयोग से लागू कराने से उत्तर प्रदेश को केवल 700 से 800 करोड का फायदा हो सकता है दूसरा महगी बिजली पर प्रतिबंध लगाकर तुरंत हम रुपया 1000 करोड बचा सकते हैं और भी अनेकों ऐसे कास्ट कटिंग के प्रतिबंध लगाने से उत्तर प्रदेश में किसानों की बिजली फ्री की जा सकती है। जो भी पार्टियां या सरकार किसानों की बिजली फ्री का फार्मूला उपभोक्ता परिषद से लेना चाहता है। उपभोक्ता परिषद पूरी रिपोर्ट और प्लान देने को तैयार है। साथ ही उस पर किसी भी विशेषज्ञ कमेटी के साथ चर्चा करने को भी तैयार है।

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