नई दिल्ली। इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (Chief Justice of Islamabad High Court) ने शुक्रवार को खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि इमरान खान (Imran Khan)पर ‘एक और जानलेवा हमले की संभावना’ है। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह पूर्व प्रधानमंत्री पर मंडराते खतरे का संज्ञान ले।
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चीफ जस्टिस आमिर फारूक (Chief Justice Aamir Farooq) ने यह टिप्पणी तब की जब वह पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के लॉन्ग मार्च के खिलाफ व्यापारियों की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। व्यापारियों ने सड़क बंद होने के संबंध में याचिका दाखिल की है।
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार ने बताया कि कोर्ट को सौंपी गई खुफिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए जज ने खान पर एक और जानलेवा हमले की संभावना जताई है। जज ने कहा कि इस मामले को देखना सरकार और राज्य की जिम्मेदारी है। जस्टिस फारूक ने कहा कि पीटीआई को जल्द आम चुनाव की मांग करते हुए अपने लॉन्ग मार्च की अनुमति के लइए इस्लामाबाद प्रशासन को एक नई अर्जी देनी चाहिए। उन्होंने कहा, अगर मामला नहीं सुलझता है तो नई याचिका भी दायर की जा सकती है। चीफ जस्टिस ने कहा कि धरने के लिए जगह आवंटित करना अदालत की जिम्मेदारी नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि यह प्रशासन का विवेक है कि वे-डी चौक या एफ-9 पार्क के लिए अनुमति देना चाहते हैं। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी यही आदेश दिया था। इससे पहले गुरुवार पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने लॉन्ग मार्च को रोकने की याचिका को खारिज किया और कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा है और इसे राजनीतिक रूप से ही हल किया जाना चाहिए।
चीफ जस्टिस फारूक ने कहा कि विरोध हर राजनीतिक और गैर राजनीतिक दल का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन आम नागरिकों के अधिकारों को बरकरार रखा जाना भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन में भी लोग 10 डाउनिंग स्ट्रीट पर इकट्ठा होते हैं। वे विरोध करते हैं लेकिन सड़कों को जाम नहीं करते।
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जस्टिस फारूक ने पीटीआई (PTI)के वकील से कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे लॉन्ग मार्च को नहीं रोक सकते, तो आपने जीटी रोड और अन्य मोटरमार्गों को अवरुद्ध कर दिया। सुनवाई 22 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई। बीते 3 नवंबर वजीराबाद शहर में सत्तर वर्षीय खान पर लॉन्ग मार्च के दौरान हमला किया गया था। इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे।