Gahat Dal : भारतीय व्यंजन श्रृंखला में थाली में दाल भोजन को संपूर्ण बनाती है। दाल का स्वाद बेजोड़ लगता है। भोजन में दाल की कमी को किसी बिकल्प से पूरा नहीं किया जा सकता है। सेहत की खुराक के लिहाज से दालें प्रोटीन का अच्छा स्रोत होती हैं। पहाड़ की वादियों में मिलने वाली गहत दाल की बात ही खास है। ये दाल सर्द मौसम में गर्म तासीर वाली होती है।
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प्रोटीन तत्व की अधिकता से यह दाल शरीर को ऊर्जा देती है, साथ ही पथरी के उपचार की औषधि भी है। इस दाल को वैज्ञानिक भाषा में डौली कॉस बाई फ्लोरस नाम से जाना जाता है। यह दाल गुर्दे के रोगियों के लिए अचूक दवा मानी जाती है। उत्तराखंड में 12,319 हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती की जाती है। खरीफ की फसल में शुमार गर्म तासीर वाली यह दाल पर्वतीय अंचल में शीतकाल में ज्यादा सेवन की जाती है।
पहाड़ी भूमि में गहत दाल दो प्रजातियां क्रमश: काली व भूरी के रूप मे प्रचलित है। इतना ही नहीं गर्म तासीर के कारण सर्द मौसम में इसकी दाल गुणकारी मानी जाती है और सर्दियों में ज्यादातर इस्तेमाल होती है।