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Garhmukteshwar Ganga Mela : गंगा किनारे की जमीन को कौड़ियों के भाव में खरीद अफसरों ने बनाया फॉर्म हाउस, नदी की धारा बदली तो सामने आई चौंकाने वाली हकीकत

By संतोष सिंह 
Updated Date

हापुड़। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रमुख कार्तिक गंगा मेला (Kartik Ganga Mela) शुरू हो गया है। इस बार गंगा नदी की धारा मुड़ने से गंगा मेला (Ganga Mela) हापुड़ जिले (Hapur District) के गढ़मुक्तेश्वर से चार किलोमीटर दूर होकर तिगरी (अमरोहा) जिले की तरफ पहुंच गया है। करीब 40 साल बाद ऐसा हुआ है, जब गढ़मुक्तेश्वर और तिगरी दोनों के गंगा मेले आमने -सामने हो गया है। जब जिला प्रशासन ने तिगरी मेले के लिए फसल कटवानी शुरू की, तो चौंकाने वाली हकीकत सामने आईं।

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इस दौरान पता चला कि यहां कई मौजूदा और पूर्व अफसरों ने गंगा किनारे की सैकड़ों बीघा जमीन खरीदकर फॉर्म हाउस बना रखे हैं। इन जमीनों की देख-रेख करने के लिए उन्होंने नौकर-कर्मचारी लगा रखे हैं। मेला स्थल खाली करवाने के लिए फसल कटवाने के लिए जिला प्रशासन के अधिकारियों को उनसे रिक्वेस्ट करनी पड़ी, तब जाकर बात बनी। ग्राउंड जीरो (Ground Zero) पर पहुंचकर गंगा मेले के बदले स्वरूप को जाना। स्थानीय लाेगाें और मेले में हर साल आने वाले लोगों से बात की। उनसे जाना कि इस बार क्या-क्या बदलाव हुआ? मेला परिसर में लगे तंबू। यहां गंगा मेले के दौरान करीब एक हफ्ते तक श्रद्धालु गंगा किनारे रहते हैं। गंगा का पूजन करते हैं।

तिगरी मेले में प्रशासनिक अधिकारियों के कैंप से सिर्फ 500 मीटर दूर 200 वर्गगज में एक मकान बना है। इसके केयरटेकर लियाकत जो अमरोहा के रहने वाले हैं। लियाकत करीब 15-16 साल से इस घर की देख-रेख कर रहे हैं। वो बताते हैं कि ये मकान एक एसडीएम का है, जो मौजूदा वक्त में लखनऊ में तैनात हैं। इसी मकान के पीछे एसडीएम की 135 बीघा जमीन है। इस जमीन पर जो फसल उगी थी, उसे प्रशासन ने मेले की वजह से कटवा दिया। अब इन खेतों में लोगों ने अपने तंबू लगाने शुरू कर दिए हैं।

लियाकत ने बताया कि मेरी जानकारी में यहां पहली बार गंगा मेला लग रहा है। उसकी वजह यह है कि गंगा की धारा मुड़कर हमारे इस घर के पास तक आ गई है। इससे पहले यहां चारों तरफ खेत ही खेत हुआ करते थे। दूर-दूर तक कोई आबादी नहीं थी। केयरटेकर लियाकत ने करीब 400 मीटर दूर खेतों में बने एक मकान की तरफ इशारा करते हुए बताया कि वो पूर्व अपर जिलाधिकारी का मकान है। मकान के पास ही उनकी 85 बीघा जमीन भी है, जिस पर खेती होती है। लियाकत ने बताया कि एसडीएम के घर में पशुपालन हो रहा है। रोजाना उनका दूध बेच दिया जाता है। फसल और दूध से जो आमदनी होती है, वो हम एसडीएम को ऑनलाइन ट्रांसफर कर देते हैं। अपने मालिक के बारे में बताते हुए कहा कि एसडीएम तो कभी यहां नहीं आते। लेकिन, उनके परिवार का एक व्यक्ति यहां आकर देख-रेख करता रहता है।

तिगरी मेला (Tigri Mela) में काकाठेर रोड है। जिला प्रशासन को इस रोड पर एक खेत वाहन पार्क कराने के लिए चाहिए था। जब खेत मालिक की तलाश शुरू हुई, तो पता चला कि इसके मालिक भी एक अधिकारी हैं। फिर जिला प्रशासन ने उन अधिकारी से फोन पर बातचीत करके खेत खाली करने का अनुरोध किया। अब उस खेत में वाहन पार्किंग बनाई गई है। स्थानीय लोग बताते हैं कि तिगरी एरिया गंगा का खादर क्षेत्र है। दूर-दूर तक यहां कोई आबादी नहीं। इसलिए तमाम जगह बरसों पहले अधिकारियों ने खरीद ली। इनमें कई अधिकारी अब रिटायर भी हो चुके हैं। ये अधिकारी तो यहां आते नहीं, लेकिन उन्होंने फॉर्म हाउस बनाकर केयरटेकर छोड़ दिए हैं।

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने रविवार को गढ़मुक्तेश्वर गंगा मेले (Garhmukteshwar Ganga Mela)  में पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया। इसके बाद आरती स्थल पर गंगा पूजन किया। मां गंगा को दूध चढ़ाया और आरती की।इसके बाद सीएम ने मेला स्थल पर बनी पुलिस लाइन के सभागार में अधिकारियों के साथ बैठक की। अफसरों से मेले की डिटेल में जानकारी ली। कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधाओं में किसी भी तरह की कमी नहीं रहनी चाहिए। उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर (Garhmukteshwar) और तिगरी गंगा मेले (Tigri Mela) को लेकर दोनों जिलों के अफसरों से बात की। इसमें मेरठ और बरेली जोन के अफसर मौजूद रहे।

गढ़मुक्तेश्वर गंगा मेले (Garhmukteshwar Ganga Mela) की शुरुआत 26 अक्टूबर से हो गई है, जबकि तिगरी गंगा मेले (Tigri Ganga Mela) की विधिवत शुरुआत 1 नवंबर से होगी। दोनों गंगा मेलों में हर साल 40 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं।

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