Garuda Purana : गरुड़ पुराण सनातन धर्म का एक महापुराण है। इस ग्रंथ में जीवन के बाद मृत्यु के होने पर जीव की क्या गति होती है इसके बार में विस्तार पूर्वक बताया गया है। मृत्यु के बाद जीव की आत्मा की शान्ति के लिए परिजन और रिश्तेदार इसका संपूर्ण पाठ सुनते है। इस पुराण में मनुष्य के कर्मो के लेखा-जोखा बताया गया है।
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इस पुराण के अधिष्ठाता देव भगवान विष्णु हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि रात में यानी सूर्यास्त के बाद दाह संस्कार करने की मनाही है। क्योकि स्वर्ग के द्वार बंद हो जाते हैं और नरक के द्वार खुल जाते हैं। ऐसे में जीव की आत्मा को नरक की पीड़ा भोगनी पड़ती है। इसी तरह इस पुराण में बताया गया कि मरने के बाद भी किसी इंसान का शव अकेला नहीं छोड़ा जाता है।
ग्रंथों का पाठ अवश्य करना चाहिए
गरुड़ पुराण के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को धार्मिक ग्रंथों में छिपे हुए ज्ञान को समझना चाहिए और दूसरों को भी समझाना चाहिए। आपको धर्म-कर्म का ज्ञान होना भी जरूरी हैं । इसलिए समय रहते ग्रंथों का पाठ अवश्य करना चाहिए।
पराए घर में ज्यादा देर न ठहरें
अपना घर अपना ही होता है और वहां रहने से सबसे अधिक सम्मान प्राप्त होता है। यह केवल कहने वाली बात नहीं है, बल्कि सामाजिक रूप से जांच-परखा उदाहरण है। इसलिए कहते हैं कि एक स्त्री को पराए घर में अधिक समय नहीं रहना चाहिए।