Gayatri Jayanti 2022 : जीवन में दु:ख शोक, भय, क्लेश , दारिद्र को हरने वाली सतोगुणी माता गायत्री की पूजा हिंदू धर्म में युगों युगों से चली आ रही है। माता गायत्री को शाश्वत, सतोगुणी, सतरुपा कहा जाता है। इन्हें वेदों की जननी भी कहा जाता है। पंचांग के अनुसार, गायत्री जयंती का पर्व हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। गायत्री जयंती की तिथि को लेकर अलग अलग मत है। कुछ लोग हर साल श्रावण महीने की पूर्णिमा तिथि को माता गायत्री की जयंती मनाते हैं। वहीं कुछ लोग गंगा दशहरा के दिन इनकी जयंती मनाते है। माता गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा गया है जिनकी उपासना पूरी श्रद्धा के साथ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
पढ़ें :- Amla Navami 2024 : आंवला नवमी के दिन व्रत रखने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती, करें आंवले का दान और सेवन
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 जून दिन शनिवार को पड़ रही है।
इस दिन भक्त गण माता गायत्री की पूजा के लिए यज्ञ, हवन, करते है। भक्त गण माता को प्रसन्न करनें के लिए दीप यज्ञ भी करते है। माता गायत्री की उपासना के लिए उपासक गायत्री मंत्रों का जप करते है। इस दिन मामता की पूजा में लोग गायत्री चालीसा और आरती भी पढ़ते है।
गायत्री मंत्र
‘ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।’
गायत्री माता की आरती
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता ।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥ जयति जय गायत्री…
पढ़ें :- Kartik Purnima 2024 Date : कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा में डुबकी का विशेष लाभ, जानें तिथि और महत्व
यह भी पढ़ें: क्यों करते हैं गायत्री मंत्र का जाप? जानें इसका अर्थ और इसके 7 लाभ
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री॥ जयति जय गायत्री…
ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे॥ जयति जय गायत्री…
भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी॥ जयति जय गायत्री…
कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता॥ जयति जय गायत्री…
पढ़ें :- Dev Uthani Ekadashi 2024 : देवउठनी एकादशी? जानें तिथि , शुभ मुहूर्त और व्रत कथा
ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे॥ जयति जय गायत्री…
स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी॥ जयति जय गायत्री…
जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे॥ जयति जय गायत्री…
स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै॥ जयति जय गायत्री…
काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये॥ जयति जय गायत्री…
जयति जय गायत्री माता, जयति जय गायत्री माता।
सत् मार्ग पर हमें चलाओ, जो है सुखदाता॥