जयपुर। कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा देने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Rajasthan) अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद के फ़ैसले और वक्तव्य को पढ़कर मुझे अफ़सोस हुआ है। अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कहा कि कांग्रेस ने उनको सम्मान और पहचान दी। 42 साल से वह बिना पद के नहीं रहे। उनके शब्द अनुचित हैं, मेरी समझ से परे हैं।
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आजाद के इस फैसले को अशोक गहलोत ने चौंकाने वाला बताया है। एक 72 साल का व्यक्ति जिसे जिंदगी में सब कुछ मिला हो, कहा कि गुलाम नबी आजाद जैसा संदेश दे रहे हैं, वह समझ से परे है।
“ग़ुलाम नबी आज़ाद जी के फ़ैसले और वक्तव्य को पढ़कर मुझे अफ़सोस है। कांग्रेस ने उनको सम्मान और पहचान दी। 42 साल से वह बिना पद के नहीं रहे – उनके शब्द अनुचित हैं, मेरी समझ से परे हैं” : श्री @ashokgehlot51 pic.twitter.com/LFOBTEyx2O
— Congress (@INCIndia) August 26, 2022
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गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने लिखा, कि दुर्भाग्य से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की राजनीति में एंट्री के बाद और खासतौर पर जनवरी 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद सलाह-मशविरे के साथ चलने की जो परंपरा थी, वह ध्वस्त हो गई। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आने के बाद सारे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे लगा दिया गया। उनकी जगह गैर-अनुभवी और चापलूस दरबारियों ने ले ली। यही नहीं इन्हीं लोगों के हाथों में पार्टी के मामलों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई। इसका अपरिपक्वता का बड़ा उदाहरण वह था, जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मीडिया की मौजूदगी में सरकार के अध्यादेश को ही फाड़ दिया। उस अध्यादेश पर कांग्रेस के कोर ग्रुप में चर्चा हुई थी और कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी। ऐसे बचकाना व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार की गरिमा को ही कमजोर कर दिया था।
राहुल गांधी के अध्यादेश फाड़ने का जिक्र, कहा- बना हार की वजह
यही नहीं उन्होंने 2014 में कांग्रेस की हार के लिए भी इस वाकये को जिम्मेदार ठहराया। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कहा कि तमाम मामलों से अलग यह एक ही वाकया हार की वजह बन गया। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने पिछले दिनों ही जम्मू-कश्मीर की कैंपेन कमेटी और राजनीतिक मामलों की समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। यही नहीं नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा था कि मैं 37 सालों तक कांग्रेस का महासचिव रहा हूं और मुझे इस तरह प्रदेश में जिम्मेदारी देना डिमोशन करने जैसा है। उसके बाद से ही गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) के भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे।
इंदिरा, राजीव तक के रिश्तों का दिया हवाला, बोलीं- भारी मन से इस्तीफा
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखे लेटर में गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कांग्रेस से अपने रिश्ते और गांधी परिवार की कई पीढ़ियों के साथ काम करने का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैंने आपके दिवंगत पति राजीव गांधी (Rajiv Gandhi), इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) , संजय गांधी (Sanjay Gandhi) के साथ काम किया था। आधी सदी से ज्यादा का वक्त मैंने कांग्रेस को दिया है, लेकिन अब बेहद भारी मन से मैं कांग्रेस के सभी पदों से तत्काल इस्तीफा देता हूं और पार्टी से भी अपने संबंध समाप्त कर रहा हूं। बता दें कि गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) कांग्रेस पार्टी (Congress Party) से नाराज बताए जाने वाले जी-23 समूह (G-23 Group) के सबसे सीनियर नेता थे।