लखनऊ। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आज जो वर्ष 2022-23 का बजट पेश किया गया है। उसमें ऊर्जा क्षेत्र में कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लिया गया है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि आने वाले समय में देश और प्रदेश का उर्जा क्षेत्र निजी करण की तरफ बढ़ेगा, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। जब पूरे देश में सस्ती बिजली फ्री बिजली की बात चल रही है। ऐसे में प्रदेश और देश के विद्युत उपभोक्ताओं को बहुत ही भरोसा था कि इस बार सस्ती बिजली के दिशा में कुछ नीतिगत फैसले बजट में दिखाई देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ जिससे ऊर्जा क्षेत्र को निराशा हाथ लगी है। इस बार के बजट में खास तौर पर सौभाग्य योजना के छोटे और गरीब विद्युत उपभोक्ताओं को यह उम्मीद थी कि उनके लिए कोई नया पैकेज सामने आएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
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यूपी राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बजट में ऊर्जा क्षेत्र को भारी निराशा हाथ लगी है। अब सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि सौभाग्य योजना के तहत लगभग 2 करोड़ 47 लाख घरों को पूरे देश में बिजली दी गयी, लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार को इस बजट में यह भी सोचना चाहिए था कि कनेक्शन देने मात्र से उनके घरों में उजाला नहीं होगा। गरीब परिवारों के घरों में लगातार उजाला तभी सम्भव है। जब उनकी बिजली दरें कम हों।
इस बजट में पूरे देश का सौभाग्य योजना के तहत जगमग परिवार इस आस में था कि उनकी बिजली दरों के लिये केन्द्र की मोदी सरकार कोई नयी योजना लाकर उन्हें सस्ती दरों पर बिजली का इन्तजाम करेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उदय स्कीम लागू होने के बाद भी पूरे देश में डिस्कामों के घाटे बढ़ गये। इस योजना के बदलाव पर क्यों नहीं ध्यान दिया गया? सौभाग्य योजना के तहत पूरे देश में कुछ गिनी चुनी कम्पनियों ने घटिया सामग्री लगाकर उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाया उस ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया गया।
सबसे बड़ा सवाल किसानों को राहत देने के सवाल का है तो शायद यह सभी सरकारों को पता होगा कि सही मायने में किसानों को राहत तभी होगी जब उनकी बिजली दरों में कमी के इन्तजाम हों, खाद्य सामग्री सस्ती हो, खेती में उपयोग होने वाले उपकरणों में भारी छूट हो, उनके द्वारा पैदा किये गये उत्पाद का उचित मूल्य समय पर सरकारें दें, उनके बच्चों की पढ़ाई के लिये राहत भरी योजना बनायी जाये तब जाकर सही मायने में किसानों की स्थायी रूप से मदद हो पायेगी और देश का अन्नदाता आर्थिक रूप से मजबूत होगा।