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आजादी न होती तो कंगना शिमला में उठा रही होती अंग्रेजों के घोड़ों की लीद, Kangana पर भड़की क्रांतिकारी परिवार की प्रेम देवी

By आराधना शर्मा 
Updated Date

नई दिल्ली: स्वतन्त्रता सेनानियों के बलिदान को भीख बनाने वाली कंगना रनौत पर अब हर तरफ से तरफ तरह के रिएक्शन देखने को मिल रहें हैं। दरअसल, अब इस बयान पर बिलासपुर ऑल इंडिया फ्रीडम फाइटर समिति की हिमाचल इकाई की अध्यक्ष प्रेम देवी शास्त्री ने कंगना रनौत पर गुस्सा जताया है। अपनी तीखी टिप्पणी करते हुए कहतीं हैं। कंगना रनौत भूल गई है कि अगर देश आजाद नहीं हुआ होता तो वो भी आज शिमला के रिज मैदान पर अंग्रेजों के घोड़ों की लीद उठा रही होती।

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साथ ही मेमों की कुर्सी उठाकर घूम रही होती। अपने बायनों में आगे कहतीं हैं। अगर आजादी 2014 में मिली है तो बताओ 1947 में क्या मिला था। वो भीख, किस पात्र में मिली थी। पात्र थाली थी या भीख का कटोरा। प्रेम देवी ने कहा कि उन्हें स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों से लगातार फोन आ रहे है।

वो अभिनेत्री की कारगुजारी से बेहद आहत है। उन्होंने कहा कि वो उस क्रांतिकारी परिवार से ताल्लुक रखती है, जिसने अंग्रेजों के राज में लगान नहीं दिया। साथ ही आम जन मानस को स्वाधीनता के प्रति जागरूक किया था। अगर क्रांतिकारी देश भर में प्राण न्यौछावर कर भारत माता को गुलामी की बेड़ियों से आजाद नहीं करवाते तो हालत क्या होती, ये हर कोई बखूबी समझ सकता है।

प्रेम देवी शास्त्री ने सरकार से कंगना के खिलाफ मामला दर्ज करने की अपील करते हुए कहा कि वो कंगना को 7 दिनों के भीतर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की चेतावनी दे रही है। उन्होंने कंगना के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज करने की भी मांग की है। उन्होंने कंगना के बयान को देशद्रोही व भड़काऊ करार दिया है। उन्होंने कहा कि कंगना ने उन वीर सपूतों का अपमान किया है, जिन्होंने भारत को आजाद करवाने के लिए अपने प्राणों को हंसते-हंसते न्यौछावर कर दिया था।

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उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि अगर भारत सरकार 7 दिन के भीतर कंगना के खिलाफ देशद्रोह का आपराधिक मामला दर्ज नहीं करवाती है तो वो खुद न्यायालय में याचिका दायर करेंगी। बता दें कि कंगना रणौत मूलतः हिमाचल की ही रहने वाली हैं। पैतृक प्रदेश में कंगना के विवादित बयानों पर उसे सहानुभूति मिल जाती थी, लेकिन इस बयान पर अपना प्रदेश भी कंगना के खिलाफ है। गृह जिला मंडी में भी कंगना के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, साथ ही मनाली में भी कंगना का पुतला फूंका गया। कोविड काल के दौरान कंगना ने अधिकतर समय अपने मनाली के घर में ही बिताया था।

 

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