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IIT Delhi : प्रदूषण के खात्मे के लिए वैज्ञानिकों ने वि​कसित की नई तकनीक, अब पराली की ईंट से बनेंगे सस्ते और टिकाऊ मकान

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। पराली की समस्या का आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) के वैज्ञानिक और शोधार्थियों ने निजात दिलाने के लिए बेहतर तकनीक विकसित की है। पराली जलाने से देश में होने वाले प्रदूषण के समाधान के लिए आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi)  के वैज्ञानिक और शोधार्थियों ने इससे ईंट बनाने की तकनीक तैयार की है। इसका फायदा किसानों के साथ पर्वतीय क्षेत्रों के लिए लोगों को भी होगा। किसानों को पराली की कीमत मिलेगी। इससे लोगों को सस्ता व टिकाऊ मकान मिलेगा। वैज्ञानिकों की मानें तो पराली की ईंट (Straw Bricks) से उन क्षेत्रों में भी तुरंत मकान बनाया जा सकता है, जो भूंकप और बाढ़ जैसी आपदाओं से प्रभावित होते हैं।

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आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi) के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी (Director Prof. Rangan Banerjee) ने कहा कि कैंपस में शनिवार को 16वें ओपन हाउस (16th Open House) का आयोजन किया गया। ओपन हाउस में लगभग 50 कार्यात्मक डेमो और 100 रिसर्च को पोस्टर के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। हमारा मकसद स्कूली छात्रों को आईआईटी दिल्ली (IIT Delhi)  में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम और आधुनिक तकनीक (Modern Technology) से रूबरू कराना है। जिससे उनमें भी इस क्षेत्र में काम करने के प्रति रुचि पैदा हो सके। ओपन हाउस का पूरा विचार, जहां इंटरेक्टिव है। इसमें स्कूली छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए सत्र और व्याख्यान भी आयोजित किए गए हैं।

वहीं, ओपन हाउस 2023 (Open House 2023) के अध्यक्ष प्रो. सुनील झा (Chairman Prof. Sunil Jha) ने कहा कि आईआईटी शोधार्थियों के इनोवेशन, रिसर्च को देखने, जानने के लिए दिल्ली समेत एनसीआर से 40 स्कूलों के 2000 से अधिक छात्रों ने दौरा किया। स्कूली छात्रों ने आईआईटी (IIT) की कैमिस्ट्री समेत अन्य 80 लैब भी देखी। स्कूली छात्रों ने 7 तकनीकी क्लब, यानी रोबोटिक्स क्लब, हाइपरलूप क्लब, एक्सएलआरआर फॉर्मूला रेसिंग क्लब, डेवक्लब, इकोनॉमिक्स क्लब, एयरोमॉडलिंग क्लब और ब्लॉकसोक के बारे में भी जाना।

यह होगा फायदा

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पराली से ईंट बनाकर सस्ते व टिकाऊ घर बनने से उसकी मांग बढ़ेगी। किसान खेतों में कृषि अवशेषों या पराली को जलाने की बजाय उसे बेच देगा। इससे प्रदूषण की समस्या में काफी हद तक रोकथाम लगेगी। इसके अलावा स्टील, लोहे और सीमेंट से घर बनाने की निर्भरता में कमी आएगी। पराली एकत्रित करने में युवाओं को रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। इस तकनीक के कारण उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में सेना के जवानों के लिए मकान बनाए जा सकेंगे।

पीएचडी की छात्रा ने प्रदूषण से राहत देने की तकनीक तैयार की

ओपन हाउस (Open House) में डिपार्टमेंट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग की पीएचडी शोधार्थी कुसुम सैनी (PhD Researcher Kusum Saini) की रिसर्च व इनोवेशन को शोकेस किया गया था। इस तकनीक को हरित भविष्य की ओर एक कदम के तहत ‘ कृषि अवशेषों से बने टिकाऊ और किफायती घर’ का नाम दिया गया है। शोधार्थी ने बताया कि पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों में पराली को खेतो में जला दिया जाता है। जिसके धुएं की वजह से एनसीआर में लोगों को परेशानी होती है। आम लोगों की दिक्कतों के समाधान, पर्यावरण को बचाने और किसानों को आय का साधन मुहैया करवाने के मकसद से इस तकनीक को ईजाद करने पर काम शुरू हुआ था।

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