लखनऊ: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने कहा कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (National Green Tribunal) के आदेशों का अनुपालन करते हुए प्रदेश की नदियों की ड्रेजिंग कराने का कार्य प्रत्येक परिस्थिति में समय पर पूरा किया जाए। इससे बाढ़ की समस्या का समाधान होने के साथ ही नदियों को चैनलाइज करने में भी सहायता मिलेगी। इसके लिए खनन और सिंचाई विभाग मिलकर विस्तृत कार्ययोजना तैयार करें। प्रदेश में खनन के नये ब्लॉकों को चिन्हित कर खनिज उत्पादन में वृद्धि करने के प्रयास किये जाएं।
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मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर आहूत उच्च स्तरीय बैठक में भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग के कार्याें की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर उनके समक्ष विभाग की कार्ययोजना के सम्बन्ध में एक प्रस्तुतिकरण किया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ईंट उत्पादन के लिए उपजाऊ भूमि से मिट्टी निकालने के स्थान पर वैकल्पिक स्रोतों को चिन्हित किया जाए। इसके लिए ईंट भट्ठों के संचालकों को प्रोत्साहित किया जाए। प्रदेश के विकास कार्याें को गति प्रदान करने के लिए पर्यावरण हितैषी एम सैंड को बालू/मोरंग का विकल्प बनाया जाए। एम सैंड के उपयोग से अन्य खनिजों पर भार कम होगा व पर्यावरण संरक्षण में भी सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खनन पट्टों में वृद्धि पर विशेष ध्यान दिया जाए। पर्यावरणीय एनओसी (NOC)को शीघ्र प्रदान करने के लिए विभाग प्रभावी प्रयास करे। अवैध खनन पर प्रत्येक परिस्थिति में अंकुश लगाया जाए। इंटीग्रेटेड माइनिंग सर्विलांस सिस्टम (Integrated Mining Surveillance System) को और अधिक प्रभावी बनाया जाए। प्रदेश के विभिन्न सीमावर्ती जनपदों में कार्यरत 39 चेकगेट्स पर तकनीकी का उपयोग करते हुए बालू, मोरम, बोल्डर सहित अन्य खनिजों की माल ढुलाई के दौरान विशेष निगरानी बरती जाए।
ओवरलोडिंग को हर हाल में रोका जाए। इसके साथ ही चेकगेट्स की संख्या भी बढ़ाई जाए। खनिजों का मूल्य बाजार मूल्य के अनुसार निर्धारित किया जाए। मेजर ब्लॉक की नीलामी के लिए नीतियों में आवश्यक परिवर्तन किये जाएं। नदियों की रेप्लेनिशमेंट स्टडी में लगने वाले समय को और कम किया जाए। प्रदेश में अधिकाधिक नये भण्डारण को स्वीकृति प्रदान करने के लिए प्रक्रिया का सरलीकरण किया जाए। उपखनिजवार भण्डारण की अलग-अलग अवधि निर्धारित की जाए।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया कि प्रदेश में फॉस्फोराइट, पोटाश, आयरन, प्लैटिनम समूह, स्वर्णधातु, सिलीमेनाइट, ऐंडालुसाइट और लाइमस्टोन के 19 ब्लॉक ऑक्शन के लिए तैयार हैं। वित्तीय वर्ष 2022-23 में 6,762 लाख क्यूबिक मीटर उपखनिजों का उत्पादन प्रदेश में हुआ है, जिससे 3367.26 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ है। इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही की राजस्व प्राप्ति 95.6 प्रतिशत अर्थात 1093.6 करोड़ रुपए है। यह पिछले वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में 356.6 करोड़ रुपए अधिक है। प्रदेश के खनिज राजस्व में उपखनिजों का योगदान 70 प्रतिशत है। इसमें साधारण बालू, मोरंग, गिट्टी, बोल्डर उपखनिज संसाधनों का लगभग 91 प्रतिशत योगदान देता है।