Monsoon Update : मौसम विभाग (Weather Department) ने मंगलवार को एक बार फिर देश में मानसून को लेकर नया अपडेट जारी किया है। IMD का अपडेट आम लोगों और किसानों के लिए खुशखबरी लाया है। विभाग के अनुसार, इस बार सामान्य मानसून (Normal Monsoon) रहने की उम्मीद है और अल नीनो (Al Nino) की स्थिति के बावजूद इसका असर मानसून पर ज्यादा नहीं पड़ेगा।
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2023 दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा के लिए पूर्वानुमान: मात्रात्मक रुप से मानसून ऋतु (जून से सितम्बर) वर्षा ± 5% मॉडल त्रुटि के साथ दीर्घावधि औसत (एलपीए) का 96% (सामान्य)होने की संभावना है । 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में ऋतुनिष्ठ वर्षा का दीर्घावधि औसत (LPA) 87 सेंमी. है| pic.twitter.com/vbzyOKIT8V
— India Meteorological Department (@Indiametdept) April 11, 2023
अल नीनो से नहीं खराब होगा मानसून
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भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मौसम विज्ञान महानिदेशक डॉ मृत्युंजय महापात्र (Director General of Meteorology Dr. Mrityunjay Mohapatra) ने कहा कि इस साल सामान्य मानसून की उम्मीद है। महापात्र ने कहा कि अल नीनो (Al Nino) की स्थिति मानसून के मौसम के दौरान विकसित होने की संभावना है और इसका प्रभाव दूसरी छमाही में महसूस किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि सभी अल नीनो (Al Nino) साल खराब मानसून वाले साल नहीं होते हैं। इसलिए इस बार भी मॉनसून के साथ अल-नीनो (Al Nino) का सीधा संबंध नहीं होगा और सामान्य बारिश होगी।
96 फीसदी रहेगा मानसून
मौसम विभाग (Weather Department) की जानकारी के अनुसार, भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (जून से सितंबर तक) के दौरान सामान्य बारिश देखने को मिलेगी। मानसून इस बार 96 फीसदी (5 फीसदी की त्रुटि मार्जिन के साथ) रहेगा और देश में इस बार 87 सेमी की लंबी अवधि बारिश होगी।
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पूर्वी, पूर्वोत्तर और उत्तर-पश्चिम भारत में सामान्य बारिश
आईएमडी (IMD)के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम में भारत में सामान्य वर्षा देखने को मिलेगी। प्रायद्वीपीय क्षेत्र के कई हिस्सों यानी पूर्वी, पूर्वोत्तर क्षेत्रों और उत्तर-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में सामान्य बारिश की संभावना जताई गई है। दूसरी ओर, दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान उत्तर-पश्चिम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों, पश्चिम और मध्य क्षेत्रों में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है।
जानें क्या होता है अल नीनो ?
अल नीनो (Al Nino) दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर के पानी का गर्म होना होता है। यह मानसूनी हवाओं के कमजोर होने का कारण बनता है और भारत में कम वर्षा से जुड़ा होता है। इससे समंदर का तापमान 5 डिग्री तक बढ़ जाता है और यह दुनिया के मौसम पर असर डालता है।