नई दिल्ली: भारत ने नेपाल को सात विकेट से हराकर पहला ब्लाइंड महिला टी20 विश्व कप (Blind Women’s T20 World Cup) जीत लिया है। यह मैच रविवार को कोलंबो में खेला गया था। भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया और नेपाल को 114 रनों पर रोक दिया। जवाब में भारत ने 12 ओवर में 117 रन बनाकर मैच को अपने नाम कर लिया। टीम टूर्नामेंट की अजेय चैंपियन बनी। इस उद्घाटन टूर्नामेंट में ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी टीमें भी शामिल थीं।
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भारत की तरफ से फुला सरेन ने 27 गेंदों पर 44 रन बनाकर सर्वाधिक स्कोर बनाया। नेपाल की ओर से सरिता घिमिरे ने 38 गेंदों पर 35 रन बनाए और वह उनकी तरफ से सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी रहीं। इस टूर्नामेंट की सह-मेजबानी श्रीलंका और भारत ने की थी। फाइनल मैच श्रीलंका के सबसे पुराने टेस्ट वेन्यू, पी. सरवणमुत्तू स्टेडियम (P. Saravanamuttu Stadium) में हुआ।
ब्लाइंड क्रिकेट (Blind Cricket) एक खास तरह का खेल है। इसमें एक सफेद प्लास्टिक की गेंद का इस्तेमाल होता है, जिसके अंदर बॉल बेयरिंग भरे होते हैं। जब गेंद लुढ़कती है तो उसमें से खड़खड़ाहट की आवाज आती है, जिससे खिलाड़ी उसे सुन पाते हैं। गेंदबाज को बल्लेबाज से पूछना होता है कि क्या वह तैयार है। फिर गेंद फेंकते समय “प्ले” चिल्लाना होता है। गेंद को कम से कम एक बार उछालकर अंडरआर्म फेंका जाता है।
नियमित क्रिकेट की तरह ब्लाइंड क्रिकेट (Blind Cricket) में भी हर टीम में 11 खिलाड़ी होते हैं। लेकिन इसमें कम से कम चार खिलाड़ी पूरी तरह से नेत्रहीन होने चाहिए। खेल में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सभी खिलाड़ियों को आंखों पर पट्टी बांधना अनिवार्य होता है। फील्डर अपनी स्थिति बताने के लिए एक बार ताली बजाते हैं। बाकी खिलाड़ी आंशिक रूप से दृष्टिबाधित हो सकते हैं। उन्हें उनकी देखने की क्षमता के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। B2 श्रेणी के खिलाड़ियों के लिए यह दूरी दो मीटर होती है, और B3 श्रेणी के लिए छह मीटर। हर टीम में अधिकतम आठ B1 (पूरी तरह से नेत्रहीन) खिलाड़ी हो सकते हैं। खास बात यह है कि B1 खिलाड़ी द्वारा बनाए गए हर रन को दोगुना गिना जाता है।