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Kanpur Arogya Mela : स्वास्थ्य मंत्री मस्त, डॉक्टर रजिस्टर में करते हैं फर्जी एंट्री, डीएम के निरीक्षण में खुला भ्रष्टाचार का खेल

By टीम पर्दाफाश 
Updated Date

कानपुर। कानपुर नगर के अर्बन पीएचसी में रविवार को जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह (District Magistrate Jitendra Pratap Singh)  औचक निरीक्षण करने पहुंचे। इस आरोग्य मेले में डीएम ने बड़ा फर्जीवाड़ा पकड़ा जो यूपी के स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली की कलई खोल कर रख दी। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह (District Magistrate Jitendra Pratap Singh) ने बताया कि जो लोग इलाज कराने नहीं आए थे डॉक्टरों ने उनके नाम भी रजिस्टर में दर्ज कर दिए। डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह (District Magistrate Jitendra Pratap Singh) ने बताया कि 25 लोगों को फोन लगाया। लोगों ने कहा कि हम तो वहां कभी गए ही नहीं?

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डीएम ने जब डॉक्टर से पूछा कि ये नाम और नंबर कहां से लाई हैं? महिला डॉक्टर कोई जवाब नहीं दे सकी। इस पर जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि न शर्म है और न ही भय है। दरअसल डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह (DM Jitendra Pratap Singh) रविवार को बिरहना के अर्बन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निरीक्षण करने पहुंचे थे।

बता दें कि सुबह करीब साढ़े 10 बजे डीएम जितेंद्र प्रताप अर्बन प्राथमिक स्वास्थ केंद्र पहुंचे। सबसे पहले यहां उन्होंने आरोग्य मेला के बारे में डॉ. दीप्ति गुप्ता से कहा कि आने वाले पेशेंट का रजिस्टर दिखाइए। जब उन्होंने रजिस्टर दिखाया तो उसमें 25 पेशेंट के नाम एक ही राइटिंग में चढ़े थे। डीएम ने तुरंत वहीं बैठे-बैठे एक नंबर पर कॉल कर दिया। इस पर बात की तो सामने वाले ने कहा कि मैं कभी स्वास्थ्य केंद्र गया ही नहीं। फर्जी तरीके से रजिस्टर में दर्ज किए गए नामों को देखकर डीएम ने कड़ी नाराजगी जताई। डीएम ने डॉक्टर से पूछा कि वो ये नाम नंबर कहां से लाई हैं, लेकिन वहां तैनात डॉ. दीप्ति गुप्ता कोई जवाब नहीं दे सकीं। इस पर डीएम ने कहा कि न शर्म है और न ही भय है।

नोडल अधिकारी को बुलाया डीएम ने बताया कि मैंने नोडल अधिकार डॉ. आरएन सिंह को बुलाया। डॉ. दीप्ति ने उनके सामने माना कि उन्होंने फर्जी एंट्री की है। अपनी सुविधा से पुराने पेशेंट के अभिलेखों को जोड़ दिया। यह दंडात्मक और नकारात्मक काम किया है। अगर डॉक्टर लेवल का अधिकारी सुबह-सुबह अभिलेखों में 25 पेशेंट की फर्जी एंट्री करेगा तो उससे लोगों का विश्वास टूटेगा। उन्होंने कहा- यह दंडात्मक और नकारात्मक काम किया है। नोडल और सीएमओ क्या देख रहे हैं। इसे लेकर ऊपर बात करेंगे।

शासन को लिखा पत्र

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डीएम ने कहा कि इस तरह के फर्जीवाड़े को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। डॉक्टर दीप्ति के खिलाफ कार्रवाई किए जाने के लिए प्रभारी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिए गए हैं। पर्यवेक्षक अधिकारियों की भी जिम्मेदारी तय करते हुए उनके खिलाफ भी कार्रवाई किए जाने के लिए शासन को पत्र लिखा जा रहा है।

डीएम ने नाराजगी जाहिर करते हुए नोडल अधिकारी के खिलाफ भी नाराजगी जाहिर की। डीएम ने इसे सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी मानते हुए एक्शन लिए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह प्रमुख सचिव स्वास्थ्य से डॉ. दीप्ति गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करने के साथ ही सीएमओ, एडिशनल सीएमओ, नोडल आदि की जिम्मेदारी तय करने की संस्तुति कर रहे हैं। डीएम ने इस बात पर सवाल भी उठाए कि सीएमओ, एसीएमओ आदि को यह सब क्यों नहीं दिख रहा है?

DM ने रवल सीएचसी पर मारा छापा तो फॉर्मासिस्ट कर रही थी इलाज, डॉक्टर अपने बच्चे को खिलाने में व्यस्त मिली

बतातें चलें कि इससे पहले बीते शनिवार को कानपुर नगर के डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह नरवल में सम्पूर्ण समाधान दिवस के बाद सीधे नरवल सीएचसी में छापेमारी कर दी। सबसे पहले वहां चिकित्सा अधिकारी के कक्ष में पहुंचे और अटेंडेंस रजिस्टर मंगवा लिया। देखा किस डॉक्टर की तैनाती है? फिर जब बाहर निकल कर पूछताछ की तो पता चला कि डॉक्टर बैठे हैं और फार्मासिस्ट इलाज कर रही है। छापेमारी 3 में से दो डॉक्टर ही प्रेजेंट मिले, जबकि एक डॉक्टर डॉ. अपर्णा पौने 11 बजे तक भी केंद्र में नहीं पहुंची थीं, इस पर डीएम ने एक दिन की सैलरी काटने के निर्देश दिए।

फार्मासिस्ट को 4 साल के बच्चे का इलाज करते हुए पकड़ा

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डीएम ने इस दौरान फार्मासिस्ट को 4 साल के बच्चे का इलाज करते हुए पकड़ा। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 4 साल के बच्चे जितेंद्र का इलाज 2 डॉक्टर मौजूद होने के बाद भी यहां तैनात फार्मासिस्ट अंजलि ने कर दिया। उन्होंने बच्चे को देखा, दवा का पर्चा लिखा और दवा भी दे दी। फॉर्मासिस्ट अंजलि के पास कोई कारण नहीं है कि उन्होंने डॉक्टर के पास क्यों नहीं भेजा? इस पर डीएम ने डॉक्टरों से कड़ी नाराजगी व्यक्त की।

डॉ. अनिल और डॉ. राशि क्यों नहीं मरीज का देख पा रहे हैं?

डॉ. अनिल और डॉ. राशि कि उनकी जिम्मेदारी है कि वो क्यों नहीं मरीज का देख पा रहे हैं? डॉ. राशि तो अपने साथ बेटी को ले आईं हैं। वो तो अपने बच्चों में व्यस्त हैं। जबकि जो गांव वालों के बच्चे हैं उनका इलाज फॉर्मासिस्ट खुद ही कर दे रही हैं।

ओपीडी की हालत खराब

जिलाधिकारी ने बताया​ कि ये तहसील मुख्यालय है। मेन रोड पर है। यहां ओपीडी की हालत भी बहुत खराब है। ऐसा लगता है कि पब्लिक को ही विश्वास नहीं है कि यहां सही इलाज मिलेगा।

सीएमओ और एसीएमओ की जिम्मेदारी

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डीएम ने कहा कि सीएमओ और ACMO की जिम्मेदारी है कि सिस्टम को चेक करें और ये भी सुनिश्चित करें कि यहां लोगों को इलाज मिल सके। ये भी देखें कि फॉर्मासिस्ट इलाज न करें। 4 साल के बच्चे का फॉर्मासिस्ट को देखना तो अनुशासनहीनता और लापरवाही भी है। जो गैरहाजिर हैं उनकी सैलरी कटेगी। सीएमओ का सुपरविजन इतना खराब नहीं होना चाहिए कि डॉक्टर कुछ भी करने लगें।

 

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