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‘विश्वविद्यालय बचाओ, विनय पाठक हटाओ मोर्चा’ सड़कों पर उतरा, कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल को भेजा पत्र

By संतोष सिंह 
Updated Date

The Chief Minister of Gujarat, Smt. Anandiben Patel calling on the Prime Minister, Shri Narendra Modi, in New Delhi on June 09, 2014.

कानपुर। ‘विश्वविद्यालय बचाओ, विनय पाठक हटाओ मोर्चा’ छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के खिलाफ सोमवार को सड़कों पर उतर आया है। इसके तहत कुलपति पाठक को पद से अविलंब हटाने के लिए सोमवार को फूलबाग स्थित गणेश उद्यान में धरना दे रहा है।

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मोर्चा के संयोजक संतोष द्विवेदी ने कुलपति विनय पाठक पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने कार्यकालय में महाविद्यालय के कर्मचारियों को मिलने वाले परीक्षा पारिश्रमिक में कटौती की। इसके अलावा छात्रों की फीस में मनमानी बढ़ोत्तरी की गई है। डिजिटल मूल्यांकन में गड़बड़ी का खामियाजा विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।

उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित महाविद्यालय एसोसिएशन के अध्यक्ष विनय त्रिवेदी ने बीते रविवार को कुलाधिपति राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को भेजे पत्र में विनय पाठक पर गंभीर आरोप लगाया है। अब शिक्षक संघ उन्हें पद से हटाने के लिए लामबंद होने लगे हैं। संघ के नेताओं ने कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को ईमेल के जरिये पत्र भेजकर विवि में प्रशासनिक अधिकारियों को नीतिगत निर्णय लेने में आ रही समस्याओं से अवगत कराया। साथ ही कुलपति को पदमुक्त करने की मांग की।

विनय त्रिवेदी ने कुलाधिपति को भेजे पत्र में लिखा कि कुलपति प्रो. विनय पाठक करीब एक माह से विश्वविद्यालय नहीं आ रहे हैं। इससे विश्वविद्यालय में नीतिगत निर्णय नहीं हो पा रहे हैं। विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले करीब छह लाख विद्यार्थियों पर भी गलत प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में कुलपति के पद पर वैकल्पिक व्यवस्था किए जाने की मांग की है।

कानपुर विश्वविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ के महामंत्री डा. अखंड प्रताप सिंह ने कुलपति प्रो. विनय पाठक द्वारा नियुक्त किए गए शिक्षकों को मनचाहा वेतन दिए जाने और पहले से कार्यरत स्ववित्तपोषित शिक्षकों को मानसिक प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि इन शिक्षकों के वेतन में पिछले दो साल से कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई और जो भी शिक्षक कार्य कर रहे हैं, वह हाईकोर्ट द्वारा स्थगन आदेश के माध्यम से विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।

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