Kharchi Puja 2022 : व्रत त्योहारों के देश भारत में तरह तरह के त्योहार मनाए जाते है। देश के त्रिपुरा राज्य में श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र खारची पूजा बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। यह पूजा अगरतला के मंदिरों में एक सप्ताह तक मनाया जाता है। यह पूजा धरती मां की पूजा हैं। खारची का मतलब है धरती मां की पूजा। यह त्योहार त्रिपुरा के आदिवासी और गैर आदिवासी निवासियों द्वारा मनाया जाता है।
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खारची पूजा की परंपरा
खारची पूजा हर साल जुलाई के महीने में मनाए जाने वाले चौदह देवताओं की पूजा है। यह उत्सव सात दिनों की अवधि में पूरा होता है। मंदिर परिसर चारों ओर से उत्साहित तीर्थयात्रियों से भरा हुआ होता है। खारची पूजा पर्व पर चौदह देवियों को स्नान करवाया जाता है। स्नान करवाने के लिए इन देवियों की मूर्तियों को मंदिर में ले जाया जाता है, जहाँ स्नान के बाद उनका श्रृंगार करवाया जाता है। इस त्यौहार में भी धरती मां की पूजा की जाती है। त्यौहार में सिर्फ देवताओं के सिर की ही पूजा होती है। पूजा में बकरों और कबूतरों की बलि भी चढ़ाई जाती है। पहले यह त्यौहार जहां सिर्फ शाही परिवार के सम्मान में मनाया जाता था। आजादी के बाद से यह पर्व जन-जन के बीच लोकप्रिय हो गया।
खारची पूजा का महत्व
इस त्योहार में 14 देवता- शिव, दुर्गा, विष्णु, लक्ष्मी, सरस्वती, कार्तिक, गणेश, ब्रह्मा, अबधि (जल के देवता), चंद्र, गंगा, अग्नि, कामदेव और हिमाद्री (हिमालय) की पूजा की जाती है।