लखनऊ। आखिरकार समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने इस रहस्य से पर्दा उठा दिया है कि वो करहल विधानसभा से विधायक बनने के बाद विधायक बने रहेंगे या इस्तीफा दे देंगे। ऐसे सवाल उठना भी लाजमी थे क्योंकि अखिलेश पहले से ही यूपी के आजमगढ़ जिले से सपा के सांसद थे। ऐसे में वो किस पद पर बने रहेंगे ये बात एक रहस्य बनी हुई थी। आज अखिलेश ने इस रहस्य से पर्दा उठाते हुए लोकसभा के संसद पद से इस्तीफा दे दिया है।
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और उन्होंने करहल विधानसभा सीट से विधायक रहने का फैसला किया है। बता दें कि उन्होंने ये फैसला क्यों लिया है क्योंकि वो विधानसभा में सक्रीय रुप से पार्टी के लिए काम करना चाहते हैं और भाजपा के सामने मजबूत भूमिका निभाना चाह रहे हैं। माना जा रहा है कि 2027 को ध्यान में रखकर समाजवादी पार्टी ने रणनीति में बदलाव किया है। पार्टी के लिए केंद्र की राजनीति से अधिक यूपी में पकड़ मजबूत करना जरूरी है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2017 में सत्ता गंवाने के बाद 2019 में अखिलेश यादव के लोकसभा चले जाने से वोटर्स के बीच गलत संदेश गया। वह विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले तक यूपी की जमीनी राजनीति में कम सक्रिय रहे। कई मौकों पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उनसे अधिक सक्रियता दिखाई और अखिलेश ट्विटर तक सीमित रह गए। माना जा रहा है कि इस धारणा का चुनाव में सपा को नुकसान उठाना पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक, होली के अवसर पर जब पूरा मुलायम परिवार सैफई में एकत्रित हुआ तो इस बात पर भी मंथन हुई कि अखिलेश यादव को विधानसभा की सदस्यता छोड़नी चाहिए या लोकसभा की। बताया जा रहा है कि खुद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश को विधानसभा में रहकर अगले चुनाव की तैयारी में अभी से जुट जाने की सलाह दी। राम गोपाल यादव भी यही चाहते थे।