पढ़ें :- Kilbury Bird Sanctuary : पक्षी प्रेमियों के लिए उत्तराखंड की ये जगहें हैं खास, बर्ड लवर्स के लिए है खास, यहां देखने को मिलते हैं दुर्लभ परिन्दे
इस त्योहार में घरों और मठों को सजाया जाता है, और रसोईघर में आटे की बनी आइबेक्स की मूर्तियों जैसी शुभ वस्तुएं रखी जाती हैं।
इस त्योहार में लोग घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े पहनते हैं, प्रार्थनाएं करते हैं, पारंपरिक नृत्य-संगीत और रीति-रिवाज मनाते हैं। ये त्योहार करीब करीब 15 दिनों तक चलता है।
लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं, अपने बुजुर्गों और रिश्तेदारों को बधाई देते हैं और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।
“मेथो” जुलूस: ग्रामीण जलती हुई मशालें लेकर सड़कों पर चलते हैं और बुरी आत्माओं को भगाने के नारे लगाते हैं। फिर इन मशालों को शहर से बाहर फेंक दिया जाता है।
पढ़ें :- Winter tour to Kerala : सर्दियों में केरल घूमने का बनाए प्लान, मजेदार होगी यात्रा
लद्दाख में आप पैंगोंग झील, नुब्रा घाटी, हेमिस मठ घूम सकते हैं, बाइक राइडिंग, ट्रेकिंग (चादर ट्रेक), रिवर राफ्टिंग, याक सफारी और स्कीइंग जैसे एडवेंचर कर सकते हैं। वहीं आप यहां हवाई मार्ग या फिर सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं।