लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (AKTU) के घटक संस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (आईईटी) के निदेशक प्रो. विनीत कंसल को हटा दिया गया है। प्रोफेसर पद पर उनकी नियुक्ति में अर्हता की शिकायत को देखते हुए उन्हें पद से हटाकर तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई है। प्रो. कंसल AKTU के पूर्व कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के करीबी माने जाते हैं। प्रो. पाठक के कुलपति पद से हटने के बाद प्रो. कंसल एकेटीयू के कुलपति भी रहे हैं।
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वे एकेटीयू के प्रति कुलपति भी रहे हैं। प्रो. विनय कुमार पाठक के खिलाफ हुई कमीशनखोरी, रंगदारी आदि को लेकर एफआईआर और एसटीएफ जांच के दौरान प्रो. विनीत कंसल व आईईटी के कुछ अन्य शिक्षकों की नियुक्ति और अर्हता का मामला उठा था। जानकारी के अनुसार एसटीएफ ने इनकी नियुक्ति की फाइलें भी ली थीं। एकेटीयू कुलपति प्रो. पीके मिश्रा ने बताया कि मिली जानकारी के मुताबिक प्रो. कंसल ने आवेदन कंप्यूटर साइंस के लिए किया था और उनकी नियुक्ति एमसीए कोर्स के अंतर्गत की गई।
इतना ही नहीं नियुक्ति के लिए एआईसीटीई द्वारा निर्धारित योग्यता बीटेक, एमटेक व पीएचडी संबंधित विषय में होनी चाहिए, जबकि प्रो. कंसल उक्त योग्यता पूरी नहीं करते हैं। यह प्रथम दृष्टया जानकारी में आया है। इसे ही देखते हुए उन्हें निदेशक पद से कार्य विरत करते हुए आर्किटेक्चर कॉलेज की निदेशक प्रो. वंदना सहगल को चार्ज दिया गया है। उन्होंने देर शाम चार्ज संभाल लिया। जांच पूरी होने तक वे बतौर शिक्षक कार्य करते रहेंगे, इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में प्रो. विनीत कंसल से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनी
प्रो. मिश्रा ने बताया कि प्रो. कंसल की अर्हता की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इसमें राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज सोनभद्र के निदेशक प्रो. जीएस तोमर, आईआईटी रुड़की के प्रो. संदीप सिंह व एमएनएनआईटी इलाहाबाद के प्रो. आरपी तिवारी शामिल हैं। कमेटी को सभी पक्षों की जांचकर रिपोर्ट देने को कहा गया है।
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2017 में फर्जी नियुक्ति होने का लगा आरोप
30 अगस्त 2022 को AKTU कुलपति प्रोफेसर प्रदीप कुमार मिश्रा को लखनऊ के सीतापुर रोड निवासी संतोष सिंह की तरफ से शिकायती पत्र मिला था। जिसमें कहां गया था कि 2017 में डॉ.विनीत कंसल और डॉ.एमके दत्ता की तैनाती के दौरान नियमों की अनदेखी की गई और इस पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को फर्जी करार दिया गया। आरोप यह भी लगाया गया कि नियुक्ति से पूर्व डॉ. विनीत कंसल ने ऑनलाइन फॉर्म भी पूरा नही भरा, बावजूद इसके उन्हें नियुक्ति दी गई।
शिकायत मिलने के बाद जब कुलपति की तरफ से डॉ. विनीत कंसल से व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहकर उनका पक्ष मांगा गया तो उन्होंने पत्र लिखकर कुलपति को जवाब दिया कि उनके द्वारा शुरू की गई जांच सरकारी आदेश 19.5.97 के विरुद्ध है और यह उन्हें मेंटल ट्रॉमा और उनके निजी जीवन को डिस्टर्ब कर रहा है।
जिसके जवाब में कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा की तरफ से 3 सदस्यीय जांच समिति का गठन करके IET के कुलसचिव डॉ. प्रदीप बाजपेई को प्रेजेंटिंग अफसर बनाते हुए जांच समिति को समस्त दस्तावेज उपलब्ध कराने को कहां गया है। डॉ. विनीत कंसल को तत्काल प्रभाव से IET के निदेशक पद से कार्यविरत करते हुए IET के डिपार्टमेंट ऑफ MCA से संबद्ध किया गया। वही IET निदेशक के पद पर प्रो. वंदना सहगल, डीन फैकल्टी ऑफ आर्किटेक्चर एवं प्लानिंग को पदभार सौंपा गया है।