Maa Kalratri Puja : शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है। देवी मां कालरात्रि का स्वरूप बहुत ही विकराल और डरावना है। देवी कालरात्रि को व्यापक रूप से माता देवी – काली, महाकाली, भद्रकाली, भैरवी, मृत्यू-रुद्राणी, चामुंडा, चंडी और दुर्गा के कई विनाशकारी रूपों में से एक माना जाता है। रौद्री , धूम्रवर्णा कालरात्रि मां के अन्य कम प्रसिद्ध नामों में हैं। पौराणिक मान्यता है कि देवी कालरात्रि के इस रूप में सभी राक्षस,भूत, प्रेत, पिशाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है, जो उनके आगमन से पलायन करते हैं। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है।
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मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
मां कालरात्रि की पूजा के लिए प्रात:स्नान के बाद घी का दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ माता के जयकारे लगाएं। इसके बाद प्रात:स्नान के बाद व्रत और मां कालरात्रि के पूजन का संकल्प लें। उसके बाद मां कालरात्रि को जल, फूल, अक्षत्, धूप, दीप, गंध, फल, कुमकुम, सिंदूर आदि अर्पित करते हुए पूजन करें।