मुंबई। महाराष्ट्र में जब से नई सरकार का गठन हुआ है, तभी से सत्ता पक्ष और विपक्ष में तकरार की घटना सामने आ रही है। इसी बीच मानसून सत्र (Monsoon Session) के पांचवें दिन विधानमंडल बाहर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे (CM Eknath Shinde) की अगुवाई वाले गुट और विपक्षी विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
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बता दें कि पिछले चार दिनों में विपक्ष ने जमकर नारेबाजी की थी। इसके खिलाफ भाजपा के विधायक बुधवार सुबह से ही धरना दे रहे थे। इन विधायकों ने कोविड भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी बैनर लगाए। रोहित पवार और अमोल मितकारी के नेतृत्व में विपक्ष के विधायक उन्हें जवाब देने के लिए पहुंचे। वे भी तख्तियां लेकर नारेबाजी करने लगे। इस मौके पर विपक्ष के विधायकों ने गाजर देना बंद करो, सूखा घोषित करो जैसे नारे लगे। यह सब चल ही रहा था कि सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए। दोनों पक्षों के विधायकों के आक्रामक होने पर हाथापाई हो गई।
एनसीपी नेता अमोल मितकारी गुस्से में सत्ताधारी विधायकों पर दौड़ते नजर आए। इससे महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Legislative Assembly) परिसर में भारी हंगामा हुआ। अंत में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने हस्तक्षेप किया और विपक्षी विधायकों को एक तरफ ले गए। इसके बाद मामला शांत हुआ।
मानसून सत्र के पहले चार दिनों के दौरान महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi) के विधायकों ने विधानमंडल की सीढ़ियों पर अपनी नारेबाजी से सबका ध्यान खींचा था। महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi) ने आला रे आला, गद्दार आला, 50 खोखे एकदम ओके, गदरानान बीजेपी ची तत्त्वी, चलो चले गुवाहाटी जैसे नारों से शिंदे समूह और भाजपा को परेशान कर दिया था। इससे सत्ता पक्ष के विधायक दुविधा में थे। सत्र के पांचवें दिन बीजेपी-शिंदे गुट ने अपनी रणनीति बदल ली है।
महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi) के विधायकों की तरह भाजपा विधायक बुधवार को भी विधानमंडल की सीढ़ियों पर बैठ गए। इन विधायकों ने महाविकास अघाड़ी (Mahavikas Aghadi) के 50 खोके-ओक्के का करारा जवाब दिया। भाजपा के इन विधायकों ने बैनर लगाए। इस मौके पर बीजेपी और शिंदे समूह के विधायकों ने भी कई नारे लगा। बीएमसी के बक्से, मातोश्री के ओके, स्थायी समिति के बक्से, मातोश्री के ओके, सचिन वाज़े के बक्से, मातोश्री के ओके जैसे नारों ने मीडिया का ध्यान खींचा।