नई दिल्ली। मोदी सरकार (Modi Government) इस कार्यकाल में राज्यसभा में बहुमत हासिल नहीं कर सकेगी। तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में जोरदार जीत के बावजूद भाजपा राज्यसभा में सदस्य संख्या बढ़ाने की स्थिति में नहीं है। दूसरी ओर, तेलंगाना में जीतने से कांग्रेस को दो अतिरिक्त सीटें मिल जाएंगी।
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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) अगले साल अप्रैल में होने हैं। उससे पहले राज्यसभा के 56 सदस्य रिटायर होंगे। इनमें से सबसे ज्यादा 30 सदस्य भाजपा (BJP) के ही हैं। इस समय राज्यसभा में कुल सदस्य संख्या 239 है और भाजपा (BJP) 93 सदस्यों के साथ सबसे बड़े पार्टी है। 30 सदस्यों के साथ कांग्रेस (Congress) दूसरे स्थान पर है।
अप्रैल में राज्यसभा चुनाव का गणित ऐसा है कि भाजपा फिर से अपने 30 सदस्य जिता लाएगी। कांग्रेस अपने पुराने सदस्यों के साथ 2 मेंबर तेलंगाना से जिताने की स्थिति में है। इनके अलावा अन्नाद्रमुक 4, एनसीपी 4, निर्दलीय 3, सपा 4, शिवसेना 3, सीपीआई 2, झामुमो 2, असम गण परिषद 1, बसपा 1, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग 1, जेडीएस 1, केरल कांग्रेस एम 1, एमडीएम 1, मिजो नेशनल फ्रंट 1, नेशनल पीपुल्स पार्टी 1, पीएमके 1, आरएलडी 1, आरपीआई 1, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट 1, तमिल मनीला कांग्रेस 1, तेलुगु देशम पार्टी 1, यूपीपी 1 और 5 नॉमिनेटेड मेंबर मिलाकर 42 सदस्य हैं।
समझें, राज्यसभा में मध्य प्रदेश की 11 सीटों का गणित
मध्य प्रदेश के 11 में से 5 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 2 अप्रैल को खत्म हो रहा है। इनमें से 4 सीटें भाजपा, जबकि 1 कांग्रेस के पास है। भाजपा (BJP) को यदि यह आंकड़ा बरकरार रखने के लिए विधानसभा में 152 सीटें चाहिए, क्योंकि एक प्रत्याशी को जीतने के लिए न्यूनतम 38 विधायकों के वोट की जरूरत होगी। भाजपा (BJP) ने इस बार हुए विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीती हैं। राज्यसभा सांसद का चुनाव तय फॉर्मूले के तहत होता है। इसके मुताबिक, जिस पार्टी के पास विधायकों की संख्या अधिक होती है, उस पार्टी के उम्मीदवार की जीत तय होती है।
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ऐसे होता है राज्यसभा चुनाव
राज्यसभा सांसदों के लिए चुनाव की प्रक्रिया अन्य चुनावों से काफी अलग है। राज्यसभा के सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं यानी जनता नहीं बल्कि विधायक इन्हें चुनते हैं। राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए कितने वोटों की जरूरत होती है, ये पहले से ही तय होता है। वोटों की संख्या का कैलकुलेशन कुल विधायकों की संख्या और राज्यसभा सीटों की संख्या के आधार पर होता है। इसमें एक विधायक की वोट की वैल्यू 100 होती है।
2020 में मध्य प्रदेश में भाजपा ने पलट दिया था गेम
19 जून 2020 को राज्यसभा की 3 सीटों के लिए चुनाव हुआ था। भाजपा ने ज्योतिरादित्य सिंधिया और डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी को प्रत्याशी बनाया था जबकि दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया ने कांग्रेस की तरफ से नामांकन भरा था। इस चुनाव से तीन महीने पहले सिंधिया समर्थक 22 विधायकों ने 10 मार्च 2020 को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। ऐसे में मौजूदा विधायकों की कुल संख्या 206 रह गई थी क्योंकि 2 विधानसभा सीटें- मुरैना जिले की जौरा और आगर-मालवा की आगर सीट विधायकों के निधन के बाद खाली थी।
इस हिसाब से राज्यसभा के एक प्रत्याशी को कम से कम 52 वोट चाहिए थे। विधायकों की संख्या के आधार पर भाजपा (BJP) के दो उम्मीदवार- ज्योतिरादित्य सिंधिया (56 वोट) और डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ( 55 वोट) जीतने में कामयाब हुए थे। कांग्रेस की तरफ से दिग्विजय सिंह (57 वोट) ही जीत दर्ज कर सके थे। दूसरे प्रत्याशी फूल सिंह बरैया को केवल 38 वोट मिले थे।