नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने बुधवार को मोदी मंत्रिमंडल (Modi cabinet) से इस्तीफा (Resigns)दे दिया है। मिली जानकारी के अनुसार मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इस्तीफा दिया है।
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मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) का राज्यसभा कार्यकाल सात जुलाई को समाप्त हो रहा है। बीजेपी ने नकवी को दोबारा राज्य सभा का टिकट नहीं दिया था। हालांकि बिना सांसद रहे भी दोनों नेता छह महीने तक मंत्री रह सकते हैं ,लेकिन अमूमन ऐसा होता नहीं है कि सांसद न रहने पर भी मंत्री रखा जाए। हां, ऐसा जरूर हुआ है कि मंत्री बनने के बाद सांसद बनाया गया हो।
मुख्तार नकवी 8 साल से थे मोदी मंत्रिमंडल में
2010 से 2016 तक यूपी से राज्यसभा सदस्य रहे। 2016 में वे झारखंड से राज्यसभा भेजे गए। नकवी पहली बार 1998 में लोकसभा का चुनाव जीते और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना और प्रसारण मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाए गए थे। उसके बाद 26 मई 2014 में मोदी सरकार में अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने। 12 जुलाई 2016 को नजमा हेपतुल्ला के इस्तीफे के बाद उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला। 30 मई 2019 को मोदी कैबिनेट में शामिल हुए और अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय बना रहा।
अब उपराष्ट्रपति के लिए नाम की चर्चा बताते चलें कि मुख्तार को जब बीजेपी ने राज्यसभा के लिए रिपीट नहीं किया तो तमाम तरह के कयास लगाए जाने शुरू हो गए। सोशल मीडिया पर चर्चा थी कि बीजेपी इस बार मुस्लिम को राष्ट्रपति उम्मीदवार बना सकती है। ऐसे में अब कहा जा रहा है कि बीजेपी मुख्तार अब्बास नकवी को उपराष्ट्रपति बना सकती है। हालांकि, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान का नाम भी चर्चा में है।