Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. उत्तर प्रदेश
  3. Nameplate Controversy : सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की योगी सरकार की दलील, कांवड़ रूट पर नेमप्लेट को लेकर स्टे बरकार

Nameplate Controversy : सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की योगी सरकार की दलील, कांवड़ रूट पर नेमप्लेट को लेकर स्टे बरकार

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज एक बार फिर कहा कि कांवड़ रूट पर खाने-पीने की दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश पर रोक जारी रहेगी। कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड सरकार को आदेश जारी करते हुए 22 जुलाई के अंतरिम आदेश को जारी रखने की बात कही। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश 5 अगस्त तक जारी रहेगा और उसी दिन आगे की सुनवाई होगी।

पढ़ें :- यूपी में सात लाख से ज्यादा बच्चे शिक्षा पाने से वंचित, केंद्र सरकार ने दिए राज्यवार आंकड़े

दलील खारिज

इससे पहले यूपी सरकार (UP Government) ने आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  में हलफनामा देते हुए अपने आदेश का बचाव किया था। सरकार ने कहा था कि उसने नेमप्लेट का आदेश इसलिए दिया था कि राज्य में शांति बनी रहे। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश ने कांवड़ यात्रा मार्गों (Kanwar Yatra Routes) पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों, कर्मचारियों और अन्य विवरणों के नाम प्रदर्शित करने के लिए कहा था।

सुनवाई में कोर्ट ने क्या कहा?

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और एस वी एन भट्टी की पीठ ने कहा कि वह 22 जुलाई के आदेश पर कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं करेगी क्योंकि हमने अपने 22 जुलाई के आदेश में जो कुछ भी कहने की जरूरत थी, वह कह दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में फिर कहा कि किसी को भी नाम बताने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। पीठ ने मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों से उनके संबंधित निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने याचिकाकर्ताओं को राज्य सरकारों के जवाबों पर अपनी प्रतिक्रियाएं दाखिल करने की अनुमति दी और मामले को 5 अगस्त के लिए स्थगित कर दिया।

पढ़ें :- योगी सरकार ने एक IAS और तीन PCS अधिकारियों को किया निलंबित,भूमि पैमाइश में लापरवाही मामले में बड़ा एक्शन

यूपी सरकार ने दी थी ये दलील

उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने जवाब में कांवड़ यात्रा मार्ग (Kanwar Yatra Routes)  पर स्थित भोजनालयों को अपने मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित करने के अपने निर्देश का बचाव करते हुए कहा कि यह विचार पारदर्शिता लाने और संभावित भ्रम से बचने और शांतिपूर्ण यात्रा सुनिश्चित करने के लिए था।

Advertisement