लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती…
पढ़ें :- Breaking News -तीन बार के ओलंपिक चैंपियन यान जेलेज्नी बने नीरज चोपड़ा के नए कोच
Neeraj Chopra Birthday Special: ये पक्तियां फेमस एथलीट नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) पर एकदम सटीक बैठती है। अगर कोशिश की जाएं तो हालात और वक्त कैसे भी हो इंसान अपनी किस्मत खुद लिख सकता है। नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) हमेशा से फिट और सम्पन्न नहीं थे। एक समय था जब उनके घर के हालात ठीक नहीं थे और उनका वजन भी बहुत अधिक बढ़ा हुआ था। लेकिन उन्होंने जीवन में आने वाली हर चुनौतियों को सामना किया। नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने अपनी घर की स्थिति और बढ़े हुए वजन की चुनौती को स्वीकारते हुए अपने लक्ष्य को भेदा।
अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर इतिहास रच डाला। एक समय था जब उनकी आर्थिक स्थिती इतनी अच्छी नहीं थी। वे गरीब परिवार से संबंध रखते हैं इनके माता पिता बेहद गरीब हैं। उनके परिवार में करीब 17 सदस्यों वाले इस संयुक्त परिवार के बेटे ने अपने पूरे परिवार का मान बढ़ाया और सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
एक वेबसाइट पर प्रकाशित लेख के अनुसार उनके घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद नीरज ने बहुत ही मुश्किल से जेवलिन थ्रो (javelin throw) के लिए भाला खरीदा था और मात्र सात हजार रुपए के भाले से उन्होंने अभ्यास शुरू किया था, क्योंकि जेवलिन थ्रो वाला भाला ढेड़ लाख का आता है। नीरज ने मात्र 11 वर्ष की आयु में 25 मीटर से भी दूर तक भाला फेंक दिया था, और जब उन्हें इस खेल में तारीफ मिली तो उनका जेवलिन थ्रो में इंटरेस्ट जागा।
बढ़े हुए वजन को लेकर उन्हे खूब चिढ़ाते थे, ताना देते थे…वो रोते थे
पढ़ें :- Video: Lucknow में हजरतगंज 'शर्मा की चाय' पीने पहुंचे Olympic gold medal winner Neeraj Chopra
घर की खराब आर्थिक स्थिती और बढ़े हुए वजन ने भी उनके हौसले को डिगा न सके। आपको जानकर हैरानी होगी बचपन में उनका वजन करीब 80 किलो था। साथ में पढ़ने वाले बच्चे स्कूल में उनका खूब मजाक उड़ाते थे। उनके बढ़े हुए वजन को लेकर उन्हे खूब चिढ़ाते थे, ताना देते थे…वो रोते थे।
एक दिन नीरज ने घर आकर अपने पिता से स्कूल में उनके बढ़े हुए वजन की वजह से बनने वाले उनके मजाक के बारे में बताया। तब उनके पिता ने उन्हें मडलौडा के एक व्यायामशाला में एडमिशन करा दिया। इसके बाद पानीपत के एक जिम जाने लगे। इसके बाद पानीपत के शिवाजी स्टेडियम में खेलते समय उन्होंने कुछ भाला फेंकने वालों को देखा और खुद भी हिस्सा लेने लगे। नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने पानीपत में एसएआई केंद गए जहां गाजियाबाद के भाला फेंकने वाले खिलाड़ी अक्षय चौधरी और नीरज ने 2010 में अभ्यास की शुरुआत की। बिना किसी प्रशिक्षण के चालीस मीटर थ्रो हासिल करने की चोपड़ा की क्षमता को देखा और उनसे प्रभावित हो गए। ड्राईव चौधरी उनके पहले कोच बने।
Birthday greetings to the golden boy Neeraj Chopra. May you continue to bring pride to India
with your admirable achievements! @Neeraj_chopra1 #NeerajChopra pic.twitter.com/zLMX88NnpC — Dhanraj Nathwani (@DhanrajNathwani) December 24, 2023
पढ़ें :- Video: लड़की ने कंधे पर हाथ रखकर खिंचवायी फोटो, फिर नीरज चोपड़ा से मांगा फोन नंबर; मिला ये जवाब
नीरज चोपड़ा ने यहां चौधरी अक्षय चौधरी और अन्य अनुभवी एथलीटो से खेल के गुर सीखें, जिन्होंने जालंधर में भाला फेंक कोच के तहत प्रशिक्षण लिया था। उन्होंने जल्द ही अपना पहला पदक, जिला चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता, और फिर अपनी क्षमताओं को विकसित करते हुए अपने परिवार को उन्हें पानीपत में रहने की अनुमति देने के लिए राजी किया।
15 साल की उम्र में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल
इसके बाद उन्होनें पानीपत के स्टेडियम का रुख किया। वहीं स्टेडियम में उन्हें जेवलिन थ्रो (javelin throw) से प्यार हो गया। इसके लिए वे पंचकुला पहुंचे। खूब मेहनत की। 2012 में 15 साल की उम्र में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। नीरज ने 68.40 मीटर जेवलिन (javelin throw) फेंका था। इसके बाद 2013 में अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत हुई।
यूक्रेन में उन्होंने वर्ड यूथ चैंपियनशिप (championship) में शामिल होकर इसके बाद वे निरंतर अपनी मेहनत और काबिलियत के बल पर अपनी कला को और तरासते चले गए। 2014 में नीरज ने बैंकॉक में यूथ ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता। अगले ही साल उन्होंने जूनियर कैटेगरी में नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।
इस साल उन्होंने 81.04 मीटर भाला फेंका था। 2016 में नीरज ने पोलैंड में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप (championship) में गोल्ड मेडल (Gold medal ) जीता। 2016 में ओलंपिक भी था लेकिन नीरज ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए थे। नीरज मायूस जरूर हुए होंगे लेकिन उनके हौसले कहीं से कमजोर नहीं थे।
अपने सपने को पूरा करने के लिए जब मोबाइल और सोशल मीडिया से बना ली थी दूरी
पढ़ें :- Diamond League Finals : डायमंड लीग फाइनल में टूटे हाथ के साथ उतरे नीरज चोपड़ा, खुलासा करते हुए जानें क्या कहा?
सफलता की इस ऊंचाई तक पहुंचना नीरज के लिए इतना आसान नहीं था। इसके लिए उन्होने मोबाइल और सोशल मीडिया से भी दूरी बना ली थी। जब वे तैयारी कर रहे थे तब मोबाइल और सोशल मीडिया का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करते थे। वे मोबाइल को स्विच ऑफ करके रखते थे। जब उनकी मां सरोज और उनके परिवार के अन्य लोगो को बात करनी होती थी, वे खुद वीडियो कॉल करते थे।