Advertisement
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. 15वां दलाई लामा कौन? आज हो सकता है ऐलान, उत्तराधिकारी पर चीन की पैनी नजर

15वां दलाई लामा कौन? आज हो सकता है ऐलान, उत्तराधिकारी पर चीन की पैनी नजर

By संतोष सिंह 
Updated Date

धर्मशाला :  हिमाचल प्रदेश के खूबसूरत शहर धर्मशाला पर इन दिनों पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। इसकी वजह बहुत खास है। खबर है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के सबसे बड़े गुरु, 14वें दलाई लामा (14th Dalai Lama) आज अपने उत्तराधिकारी के बारे में कोई बड़ा ऐलान कर सकते हैं। यूं कहें तो वो ये बता सकते हैं कि 15वां दलाई लामा (15th Dalai Lama)  कौन होगा या उसे कैसे चुना जाएगा?

पढ़ें :- भारत ने द. अफ्रीका को नौ विकेट से हराकर जीती सीरीज, यशस्वी ने जमाया शतक, कोहली-रोहित का पचासा

क्या हो रहा है धर्मशाला में?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, दलाई लामा बुधवार को 11 सीनियर बौद्ध भिक्षुओं के साथ एक खास बैठक करने वाले हैं। माना जा रहा है कि इसी बैठक में अगले दलाई लामा को लेकर चर्चा होगी। इस मीटिंग के बाद एक लिखित बयान जारी किया जा सकता है, जिसमें सारी दुनिया को इस बड़े सवाल का जवाब मिल सकता है।

यह सब दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के मौके पर हो रहा है। लंबे समय से यह उम्मीद की जा रही थी कि वह अपने 90वें जन्मदिन पर यह साफ कर देंगे कि उनकी आध्यात्मिक विरासत को कौन आगे बढ़ाएगा। धर्मशाला में इस समय तिब्बत की निर्वासित सरकार का एक धार्मिक सम्मेलन भी चल रहा है, जिसमें सैकड़ों धार्मिक गुरु हिस्सा ले रहे हैं। माहौल पूरी तरह से गहमागहमी और उम्मीदों से भरा है।

क्यों इतना ज़रूरी है ये ऐलान?

पढ़ें :- Indigo Crisis : राहुल गांधी की बातों पर सरकार ने गौर किया होता तो हवाई यात्रा करने वालों को इतनी तकलीफें न उठानी पड़ती

तिब्बती बौद्ध धर्म (Tibetan Buddhism) में यह मान्यता है कि दलाई लामा (Dalai Lama) का निधन नहीं होता, बल्कि वे अपनी शिक्षाओं और विरासत को जारी रखने के लिए किसी बच्चे के रूप में फिर से जन्म लेते हैं। फिर उस खास बच्चे को खोजा जाता है और उसे अगले दलाई लामा के रूप में प्रशिक्षित किया जाता है। मौजूदा दलाई लामा, जिनका असली नाम तेनजिन ग्यात्सो (Tenzin Gyatso) है, 14वें दलाई लामा (14th Dalai Lama) हैं। अब दुनिया यह जानना चाहती है कि 15वें दलाई लामा (15th Dalai Lama) को खोजने की प्रक्रिया क्या होगी?

चीन का पेंच : एक बड़ी चुनौती

इस पूरे मामले में एक बड़ा पेंच चीन का भी है। दलाई लामा 1959 में चीन के शासन के खिलाफ विद्रोह के बाद तिब्बत से भागकर भारत आ गए थे। तब से वह धर्मशाला में ही रहते हैं। चीन उन्हें एक अलगाववादी नेता मानता है और उसने यह साफ कर दिया है कि अगला दलाई लामा चुनने का हक उसका है।

हालांकि, दलाई लामा ने भी इस पर अपना रुख कड़ा रखा है। उन्होंने कहा है कि उनका उत्तराधिकारी चीन के बाहर ही जन्म लेगा और उन्होंने अपने लाखों अनुयायियों से यह अपील की है कि वे चीन द्वारा चुने गए किसी भी व्यक्ति को अगला दलाई लामा न मानें।

आगे क्या होगा?

पढ़ें :- IndiGo Crisis : एयरलाइंस की मनमानी पर ब्रेक, सरकार ने फिक्स किया हवाई किराया, 500 किमी के लिए 7500 रुपये, जानें टिकट की नई दरें

अब सबकी निगाहें धर्मशाला से आने वाले उस लिखित बयान पर हैं, जिसमें शायद सदियों पुरानी इस परंपरा के भविष्य का राज छिपा है। यह सिर्फ एक धार्मिक मामला नहीं है, बल्कि यह तिब्बत की पहचान और चीन के साथ उसके राजनीतिक संघर्ष से भी जुड़ा एक बहुत बड़ा मुद्दा है। दलाई लामा का फैसला यह तय करेगा कि उनकी विरासत शांतिपूर्ण तरीके से आगे बढ़ती है या फिर उस पर भी राजनीतिक खींचतान हावी हो जाती है।

 

Advertisement