सर्व सौभाग्यवर्धिनी तुलसी: धार्मिक पौराणिक ग्रंथों में तुलसी जी सर्व सौभाग्यवर्धिनी कहा गया है। तुलसी जी का प्रतिदिन दर्शन पूजन करना पापनाशक मोक्षदायक माना गया है। तुलसी पत्र से पूजा करने से व्रत, यज्ञ, जप, होम, हवन करने का पुण्य प्राप्त होता है। भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है।तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल और आरोग्यबल का विकास होता है।वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं। कहते हैं कि जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार अगर तुलसी जी पर जल चढ़ाते समय ‘ॐ-ॐ’ मंत्र का 11 या 21 बार जाप किया जाए तो बुरी नजर से बचाव होता है। साथ ही घर में धन—धान्य की वृद्धि होती है।
विष्णु भगवान की पूजा में तुलसी दल चढ़ाना जरूरी होता है इसलिए तुलसी का पत्ता तोड़ते समय ॐ सुभद्राय नम:, मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी,नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।। मंत्र का जाप करें। इससे पूजा का दोगुना लाभ मिलेगा
जीवन में सफलता पाने के लिए महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।। मंत्र का जाप करें। इससे तरक्की के नए रास्ते खुलेंगे।