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पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा था और भारत का ही रहेगा : राजनाथ सिंह

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Union Defense Minister Rajnath Singh) ने रविवार को कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) के मौके पर गुलशन ग्राउंड (Gulshan Ground) में जम्मू में शहीद परिवारों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कारगिल युद्ध(Kargil War) के शहीदों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कारगिल विजय सेना (Kargil Vijay Sena) के शौर्य और पराक्रम का गौरवपूर्ण अध्याय है।

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उन्होंने कहा कि इतना तय है कि 1962 के युद्ध का बड़ा खामियाजा भारत ने भुगता। चीन ने लद्दाख में हमारे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। उस समय हमारे देश के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू थे। हालांकि, आज का भारत दुनिया के सबसे शक्तिशाली देशों में से एक है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर पर भारत की संसद में प्रस्ताव पारित हुआ था। पाक अधिकृत कश्मीर भारत का हिस्सा था, भारत का हिस्सा है और रहेगा। ये कैसा हो सकता है कि शिव के स्वरूप बाबा अमरनाथ हमारे यहां हो और मां शारदा शक्ति स्वरूपा LOC के पार हो।

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज हमारा देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। हमने तय किया है कि मेक इन इंडिया (Make In India) और मेक फॉर वर्ल्ड (Make for the World)। आज हालात बदल गए हैं पहले भारत केवल  डिफेंस इंर्पोटर (Defence Importer) के रूप में जाना जाता था। आज भारत की गिनती दुनिया के टाप 25 डिफेंस एक्सपोर्टर (Defence Exporters) के रूप में होती है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि 1965 और 1971 की लड़ाई में बुरी तरह परास्त होने के बाद पाकिस्तान ने डॉयरेक्ट वार (Direct War) का रास्ता छोड़ कर प्राक्सी वार (Proxy War) का रास्ता पकड़ा।   लगभग दो दशकों से भी अधिक समय तक पाकिस्तान ने भारत को ‘प्राक्सी वार’ में उलझाए रखा और वे सोचते थे कि हम हज़ारों कटों से भारत का खून बहा सकते हैं (We can bleed India by Thousand Cuts) ।

1971 मे जिस Decisive तरीके से भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान की फौज को हराया और अपनी ‘Conventional Superority’ पूरी तरह स्थापित कर दी वह अपने आप में बेमिसाल है। करीब 91 हजार से अधिक पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण किया और उनके दो टुकड़े हो गये।1948 में पहली बार भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक इरादों को नाकाम किया और आज जो जम्मू और कश्मीर का जो स्वरूप हम देख रहे है उसे बनाने में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है।

इन पांचों युद्धों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का यह पूरा इलाका ‘Main War Theatre’ रहा है। आजादी के बाद से ही, इस पूरे इलाके पर देश के दुश्मनों की गिद्ध दृष्टि लगी रही है, मगर भारतीय सेनाओं ने अद्भुत पराक्रम और बलिदान का परिचय देते हुए हर बार दुश्मनों के मंसूबों को नाकाम किया है।

आजादी के बाद भारत को पांच युद्ध लड़ने पड़े है जिनमें 1948 का हमला, 1962 का चीन के साथ युद्ध उसके बाद 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध और सबसे आखिर में 1999 में हुआ कारगिल युद्ध, जो कि एक Full Scale War न होकर पाकिस्तान के साथ लड़ा गया एक Limited War था।

 

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