Panch Mukhi Rudraksha : सनातन धर्म में प्रकृति से जुड़ी विविधताओं को बहुत ही सहेज कर रखा गया है। हिमालय पर मिलने वाले फल रुद्राक्ष का विशेष धार्मिक महत्व है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव के आंसू ही मृत्युलोक में रुद्राक्ष है। रुद्राक्ष असल में एक फल है। पौराणिक कथा के अनुसार,जब कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने अपनी आँखें खोली थी तो उनकी आंखों से कुछ आँसू की बूंदे धरती पर आ गिरी थी और इसी से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई है।
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ऋषियों ने रुद्राक्ष के गुणों को पहचान कर उनकी विशेषताओं के बारे जगत को बताया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष को शिव का प्रिय माना जाता है। शिव की पूजा में रुद्राक्ष की माला का विशेष महत्व है।आध्यात्मिक साधक के जीवन में रुद्राक्ष एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता।धर्म शास्त्रों में रुद्राक्ष धारण करने के लिए कड़े नियमों के बारे बताया गया है। तन मन की पवित्रता इसको धारण करने के लिए आवश्यक है।
सिंह राशि के जातकों को पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। इससे धन संपत्ति की प्राप्ति होती है।
पंचमुखी रुद्राक्ष धारण करने की विधि
पंचमुखी रुद्राक्ष रुद्राक्ष को सोने या फिर चाँदी में मढ़वा कर या बिना मढ़वाएं भी धारण किया जा सकता है।
रुद्राक्ष को धारण करने से पहले इसे गंगा जल या कच्चे दूध से शुद्ध कर लीजिए।
इसके बाद ‘ॐ ह्रीं नमः:’ मंत्र का 108 बार जाप करें।