Paush Maas 2025 : वेदों और उपनिषदों में पौष मास की विशेष महिमा बतायी गयी है। इस मास को देवताओं की तपस्या, आंतरिक साधना और सूर्य देव की विशेष उपासना का काल बताया गया है। इसके साथ ही इस मास में भगवान सूर्य को को ‘भग’ रूप में पूजकर अर्घ्य देने, जप-तप, पितरों के लिए पिंडदान और श्राद्ध करने से आध्यात्मिक उन्नति, सौभाग्य व स्वास्थ्य लाभ होता हैं। हालाँकि यह माह सामान्यतः शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए वर्जित माना जाता है। मान्यता है कि इस दौरान ब्रह्मांडीय ऊर्जाएँ शांत होती हैं, जिससे मन और बुद्धि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और आंतरिक शक्ति बढ़ती है।
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5 दिसंबर 2025 से प्रारंभ होकर 3 जनवरी 2026 तक चलने वाले पौष मास में तांबे के लोटे में जल भरें, जल में कुमकुम, चावल और फूल भी डालें। इसके बाद सूर्य को जल चढ़ाएं।
इस मास में सूर्य पूजा से कुंडली के नौ ग्रहों से संबंधित दोष दूर होते हैं। कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो घर-परिवार और समाज में कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
मांगलिक कार्य: विवाह, गृह प्रवेश जैसे शुभ और मांगलिक कार्य इस महीने में वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि इन्हें अशुभ माना जाता है, जिससे परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।