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ग्रह गोचर: 14 सितंबर से वक्री गुरु और वक्री शनि एक घर में बिराजमान होंगे, जानिए क्या होगा इस युति का असर

By अनूप कुमार 
Updated Date

ग्रह गोचर: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार ग्रह निरन्तर गोचर करते हैं। गोचर में ग्रह व्रकी भी होते हैं अर्थात उल्टा चलने लगते हैं। देवगुरु बृहस्पति 14 सितंबर 2021 मंगलवार भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि के दिन वक्री गति से चलते हुए मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में पहले से शनि वक्री अवस्था में बैठे हुए हैं। गुरु इस साल 20 जून को कुंभ राशि में वक्री हुयी थी। और अब 14 सितंबर को दोपहर 2.34 बजे से वक्री अवस्था में मकर राशि में प्रवेश करेंगे। गुरु 18 अक्टूबर 2021 को मार्गी हो जाएगा। मकर राशि में पहले से शनि वक्री होकर बैठे हुए है। शनि इस साल 23 मई को मकर राशि में वक्री हुए ​थे और 11 अक्टूबर को मकर राशि में ही मार्गी हो जाएगें। इस प्रकार 14 सितंबर से 18 अक्टूबर तक का समय सभी राशि के जातकों के साथ प्रकृति, पर्यावरण आदि के लिए मुसीबत बन सकता है। इसलिए सतर्क रहें, सावधान रहें, संयम से रहें और बुरे कर्मो से बचने का प्रयास करें।
ग्रह वक्री होने का प्रभाव

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इस गति को वक्र गति कहा जाता है
कोई भी ग्रह विशेष जब अपनी सामान्य दिशा की बजाए उल्टी दिशा यानि विपरीत दिशा में चलना शुरू कर देता है तो ऐसे ग्रह की इस गति को वक्र गति कहा जाता है तथा वक्र गति से चलने वाले ऐसे ग्रह विशेष को वक्री ग्रह कहा जाता है।

वक्री गुरु और वक्री शनि की युति ठीक नहीं मानी जाती है। गुरु शुभ ग्रह और शनि क्रूर, दोनों की वक्री अवस्था में युति से रोगों और हिंसक घटनाओं में वृद्धि की आशंका रहती है। वक्रगति से पुन: गुरु मकर राशि में प्रवेश कर वक्री शनि से युति करेगा। जिससे हिंसक तत्व शांति भंग करने का षड्यंत्र करेंगे। विश्व में कहीं-कहीं प्राकृतिक आपदाएं जैसे भूकंप, तूफान, भूस्खलन आदि से जन-धन की हानि होगी। भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित देशों में सत्ता संघर्ष, आतंकी घटनाएं, आगजनी, युद्ध जैसे हालात बनेंगे। रोग फैलने की आशंका भी रहेगी।

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