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रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में पीएम मोदी, बोले- ग्लोबल टार्गेट से पहले ही भारत टीबी को हराएगा

By संतोष सिंह 
Updated Date

वाराणसी।   पीएम मोदी (PM Modi) ने बटन दबाकर राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (National Center for Disease Control) और उच्च रोकथाम प्रयोगशाला, वाराणसी शाखा का शुक्रवार को शिलान्यास किया। फिर  संबोधित करते हुए पीएम मोदी (PM Modi) ने कहा कि एक देश के तौर पर भारत की विचारधारा का प्रतिबिंब वसुधैव कुटुंबकम् (Whole world is one family) यानी ‘पूरी दुनिया एक परिवार है’ की भावना में झलकता है। ये प्राचीन विचार आज आधुनिक विश्व को एकीकृत दृष्टि और एकीकृत समाधान दे रहा है। इसलिए भारत ने G20 की भी थीम रखी है एक दुनिया एक परिवार एक भविष्य।

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उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से भारत ने जिस नई सोच और अप्रोच के साथ टीबी के खिलाफ काम करना शुरू किया, वो वाकई अभूतपूर्व है। भारत के ये प्रयास पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए क्योंकि ये टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है। बीते 9 वर्षों में भारत ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में अनेक मोर्चो पर एक साथ काम किया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर (Rudraksh Convention Center) में वन वर्ल्ड टीबी समिट (One World TB Summit) को संबोधित कर रहे हैं। पीएम ने कहा- हमने टीबी (TB) से लड़ने किए लोगों से नि-क्षय मंत्र बनने को कहा। पीएम बोले- काशी नगरी, वो शाश्वत धारा है, जो हजारों वर्षों से मानवता के प्रयासों और परिश्रम की साक्षी रही है।  कुछ समय पहले ही भारत ने ‘One Earth, One Health’ के विजन को भी आगे बढ़ाने की पहल की है और अब, ‘One World TB Summit’ के जरिए भारत एक और संकल्प को पूरा कर रहा है। टीबी के खिलाफ लड़ाई में, भारत ने जो बहुत बड़ा काम किया है, वो जनभागीदारी है। एक देश के तौर पर भारत की विचारधारा का प्रतिबिंब ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ यानी- ‘Whole world is one family’ की भावना में झलकता है।

भारत के प्रयास टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नया मॉडल
पीएम मोदी ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत की वैश्विक भूमिका का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भारत ने जो प्रयास किए वो आज पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए क्योंकि ये टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है। हमने टीबी मुक्त भारत अभियान से जुड़ने के लिए देश के लोगों से निक्षय मित्र बनाने का आह्वान किया था। इस अभियान के बाद करीब 10 लाख टीबी मरीजों को देश के सामान्य नागरिकों ने गोद लिया है। 10-12 साल के बच्चे भी निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। कितने ही बच्चों ने अपना पिगी बैंक तोड़कर टीबी मरीजों को गोद लिया है। टीबी मरीजों के लिए निक्षय मित्रों का यह आर्थिक सहयोग एक हजार करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है।

भारत के प्रयास टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का नया मॉडल
पीएम मोदी ने टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत की वैश्विक भूमिका का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद भारत ने जो प्रयास किए वो आज पूरे विश्व को इसलिए भी जानने चाहिए क्योंकि ये टीबी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई का एक नया मॉडल है। हमने टीबी मुक्त भारत अभियान से जुड़ने के लिए देश के लोगों से निक्षय मित्र बनाने का आह्वान किया था। इस अभियान के बाद करीब 10 लाख टीबी मरीजों को देश के सामान्य नागरिकों ने गोद लिया है। 10-12 साल के बच्चे भी निक्षय मित्र बनकर टीबी के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ा रहे हैं। कितने ही बच्चों ने अपना पिगी बैंक तोड़कर टीबी मरीजों को गोद लिया है। टीबी मरीजों के लिए निक्षय मित्रों का यह आर्थिक सहयोग एक हजार करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गया है।

75 लाख मरीजों को मिला डीबीटी का लाभ
पीएम ने पोषण को टीबी के लिए बड़ा चैलेंज बताते हुए कहा कि इसे देखते हुए 2018 में हमने टीबी मरीजों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की घोषणा की थी। तब से अब तक 2000 करोड़ रुपए सीधे टीबी मरीजों के खाते में भेजे गए। करीब 75 लाख मरीजों को इसका लाभ हुआ है। मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए, उनके ट्रीटमेंट के लिए हमने आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा है। टीबी की मुफ्त जांच के लिए देश भर में लैब की संख्या बढ़ाई है। आज टीबी मुक्त पंचायत की शुरुआत हुई है। इसमें हर गांव के चुने हुए जनप्रतिनिधि मिलकर संकल्प लेगें कि गांव में एक-एक मरीज को स्वस्थ करके रहेंगे। हमने टीबी की रोकथाम के लिए 6 महीने के कोर्स की जगह 3 महीने का ट्रीटमेंट भी शुरू किया है। हर मरीज के लिए जरूरी केयर को ट्रैक करने के लिए हमने निक्षय पोर्टल बनाया है।

2007 में पूरा किया गया था गांधी जी का सपना
इस अवसर पर उन्होंने महात्मा गांधी से जुड़ी एक कहानी भी शेयर की। उन्होंने कहा कि एक बार महात्मा गांधी को अहमदाबाद में लेप्रेसी अस्पताल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वह बोले मुझे तो खुशी तब होगी जब आप उस लेप्रेसी अस्पताल को ताला लगाने के लिए मुझे बुलाएंगे। 2007 में मेरे मुख्यमंत्री रहते उस अस्पताल को ताला लगा और गांधी जी का सपना पूरा किया। पीएम ने लोगों ने अपील भी की। उन्होंने कहा कि टीबी के मरीजों में जागरूकता की कमी दिखती है। बहुत से लोग इस बीमारी को लोगों से छुपाते हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने पर ध्यान देना होगा।

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पीएम ने पोषण को टीबी के लिए बड़ा चैलेंज बताते हुए कहा कि इसे देखते हुए 2018 में हमने टीबी मरीजों के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) की घोषणा की थी। तब से अब तक 2000 करोड़ रुपए सीधे टीबी मरीजों के खाते में भेजे गए। करीब 75 लाख मरीजों को इसका लाभ हुआ है। मरीजों की स्क्रीनिंग के लिए, उनके ट्रीटमेंट के लिए हमने आयुष्मान भारत योजना से जोड़ा है। टीबी की मुफ्त जांच के लिए देश भर में लैब की संख्या बढ़ाई है। आज टीबी मुक्त पंचायत की शुरुआत हुई है। इसमें हर गांव के चुने हुए जनप्रतिनिधि मिलकर संकल्प लेगें कि गांव में एक-एक मरीज को स्वस्थ करके रहेंगे। हमने टीबी की रोकथाम के लिए 6 महीने के कोर्स की जगह 3 महीने का ट्रीटमेंट भी शुरू किया है। हर मरीज के लिए जरूरी केयर को ट्रैक करने के लिए हमने निक्षय पोर्टल बनाया है।

2007 में पूरा किया गया था गांधी जी का सपना
इस अवसर पर उन्होंने महात्मा गांधी से जुड़ी एक कहानी भी शेयर की। उन्होंने कहा कि एक बार महात्मा गांधी को अहमदाबाद में लेप्रेसी अस्पताल का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। वह बोले मुझे तो खुशी तब होगी जब आप उस लेप्रेसी अस्पताल को ताला लगाने के लिए मुझे बुलाएंगे। 2007 में मेरे मुख्यमंत्री रहते उस अस्पताल को ताला लगा और गांधी जी का सपना पूरा किया। पीएम ने लोगों ने अपील भी की। उन्होंने कहा कि टीबी के मरीजों में जागरूकता की कमी दिखती है। बहुत से लोग इस बीमारी को लोगों से छुपाते हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने पर ध्यान देना होगा।

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