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PMJDY ने वित्तीय समावेशन, सम्मान का जीवन और सशक्तीकरण सुनिश्चित किया : PM Modi

By संतोष सिंह 
Updated Date

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY ) के शनिवार 28 अगस्त को 7 साल पूरे हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने इस अवसर पर शनिवार को कहा कि इस पहल ने न सिर्फ भारत के विकास की गति को हमेशा के लिए बदल दिया है। बल्कि इसने अनगिनत भारतीयों का वित्तीय समावेशन, सम्मान का जीवन और सशक्तीकरण सुनिश्चित किया है।

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प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि आज पीएम जन-धन योजना (Jan Dhan Yojna) के सात साल हो रहे हैं। एक ऐसी पहल जिसने भारत के विकास की गति को हमेशा के लिए बदल दिया है। इस योजना ने वित्तीय समावेशन और सम्मान का जीवन सुनिश्चित करने के साथ ही अनगिनत भारतीयों का सशक्तीकरण सुनिश्चित किया है। जन-धन योजना (Jan Dhan Yojna) ने पारदर्शिता को मजबूत करने में भी मदद की है।

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इस अवसर पर उन्होंने इस योजना को सफल बनाने में योगदान देने वाले सभी लोगों की सराहना करते हुए कहा कि उनके प्रयासों ने भारत के लोगों के जीवन को बेहतर बनाना सुनिश्चित किया है। बता दें कि केंद्र सरकार (Central Government) के ​तरफ से देश के नागरिकों तक बैंकिंग सुविधाओं की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 2014 में शुरू की गई पीएमजेडीवाई (PMJDY ) ने 28 अगस्त को सात वर्ष पूरे किये हैं।

बता दें कि जन धन योजना का एलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले से किया था। वित्त मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, फिलहाल इस बैंकिंग सुविधा के साथ 43.04 करोड़ लाभार्थी जुड़े हैं। यानी देश की करीब 32.08 फीसदी जनता इस योजना के दायरे में है। इसके अलावा फिलहाल इन बैक अकाउंटों में जमा राशि 146.23 करोड़ बताई जाती है।

18 अगस्त 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में इस वक्त 43.04 करोड़ जन धन बैंक खाते हैं, जो कि मार्च 2015 के 14.72 करोड़ मुकाबले लगभग तीन गुना हैं। इस योजना का सबसे ज्यादा फायदा महिलाओं को मिला है, क्योंकि कुल खातों में 55 फीसदी महिलाओं के नाम पर ही हैं। इसके अलावा 67 फीसदी खाते ग्रामीण या छोटे शहरी इलाकों में हैं।

जन धन योजना के तहत जितने खाते खुले हैं, उनमें से 36.86 करोड़ खाते (85.98 फीसदी) सक्रिय हैं। वहीं, 5.82 करोड़ अकाउंट (14.02 फीसदी) अभी निष्क्रिय हैं। यह जवाब सरकार ने पिछले महीने ही राज्यसभा में दिया था। इसके मुताबिक, कुल निष्क्रिय खातों में से 2.02 करोड़ महिलाओं के हैं, जो कि कुल निष्क्रिय अकाउंट्स का 35 फीसदी है।

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